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________________ [३८] ॥ ढाल श्रीपालना रासनी ॥ ॥ श्री सीमन्धर साहिब आगे० ॥ एदेशी ।। अन्य कई राग रागनियों में पूजा की ढालें. गाई जा सकती है। तीजे भव वर थानक तपकरी, जेणे वाँध्यु जिन नाम । चउसठ इन्द्र पूजित जे जिन, कीजे तास प्रणाम रे भविका । सिद्धचक्र पद वन्दो, जेम चिरकाले नन्दो, रे भविका । उपशम रसनो कंदो, रे भविका, रत्नत्रयीनो वृन्दो रे भविका सेवे सुर नर इन्दो, रे भविका सिद्धचक्रपद वन्दो ।।टेर १॥ जेहने होय कल्याणक दिवसे, नरके पिण उजवालु। सकल अधिक गुग अतिशय धारी,ते जिन नमी अघ टालूँ । रे भविका, सिद्धचक्रपद वन्दो ॥२॥ जे तिहुनाण समग्ग उपन्ना, भोग करम क्षीण जाणी। लेई दीक्षा शिक्षा दिये जगने, ते नमिये जिननाणी । ___रे भविका, सिद्धचक्रपद वन्दो ॥३॥ महागोप महामाहण कहिये, निर्यामक सत्थवाह । उपमा एहवी जेहने छाजे, ते जिन नमिये उत्साह । रे भविका, सिद्धचक्रपद वन्दो ॥४॥
SR No.034089
Book TitleBruhat Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshanashreeji
PublisherGyanchand Lunavat
Publication Year1981
Total Pages474
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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