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[ ३५ J. जिम • जिम धूप घटी प्रगटावे, . , “ ।'
तिम-तिम भवना दुरित गमावे दीवो रे० ३॥ नीराऽक्षत कुसुमांजलि चन्दन,
___धूप-दीप-फल-नैवेद्य - वन्दन ।। दीवो रे० ४॥ इणि परे अष्टप्रकारी कीजे,
पूजा - स्नात्र विशेष करीजे ॥दीवो रे० ५॥
इसके बाद, पंचामृत-कलश को प्रभु के सामने वृहत् शान्तिस्तोत्र का पाठ करता हुआ असण्ड धारा से भरे। जल छिडकाव करे । प्रभु समक्ष क्षमा याचना करे। भक्तिभाव से करबद्ध होकर बोलना।
॥ श्लोकः॥ आज्ञा हीन, क्रियाहीनं मत्रहीनं च यत्कृतम् ॥ तत्सर्व क्षम्यतां देव, क्षमस्व परमेश्वर ! ॥ १ ॥ घाट मे भाव पूजार्थ चैत्यवन्दन जयवीयराय पर्यन्त वोल्फर करे।
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