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________________ [.२७ ] ॥ मत्रः॥ ॐ हीं अहं परमात्मने, अनंतानंत ज्ञान शक्तये, जन्मबरा-मृत्यु-निवारणाय,श्रीमज्जिनेन्द्राय, जलंयजामहे स्वाहा। उपरोक्त काव्य और मंत्र बोलकर प्रभु प्रतिमाजी के चरणोंपर गोड़ा-सा जल चढावे। तथा फिर अंगलूहण देना न भूले। ॥ द्वितीया चदन पूजा २॥ ॥ ॐ नमोऽहंसिद्धाचार्यो० ॥ सकल मोह तिमिस्र विनाशनं, परम शीतल भावयुतं जिनम् । विनय कुकुम दशन चन्दनः, सहज तल विकासकृतेऽर्चये ॥२॥ मत्र-ॐ ही अहं परमात्मने, अनन्तानन्त ज्ञान शक्तये, जन्म-जरा-मृत्यु - निवारणाय, श्रीमज्जिनेन्द्राय, चन्दनं पजामहे स्वाहा । उपरोक्त काव्य तथा मंत्र पढकर, प्रभु प्रतिमाजी के नवों अंगों में चन्दन, फेशर विलेपन करे। ॥ तृतीया पुष्प पूजा ३ ॥ || ॐ नमोऽर्हत् सिद्धाचार्योपाध्याय सर्वसाधुभ्यः ॥ विकचनिर्मल शुद्ध मनोरमै, विशदचेतनभाव समुद्भवः । सुपरिणाम प्रसनघनैर्नवैः, - मयंहि यजाम्यहम् ॥३॥
SR No.034089
Book TitleBruhat Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshanashreeji
PublisherGyanchand Lunavat
Publication Year1981
Total Pages474
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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