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वृहत् पूजा-संग्रह. ॥ काव्यम् ॥ पीयूष पेशल रसोत्तम भाव पूर्ण ।
मन्त्र-ॐ हीं श्रीं अर्ह परमात्मने ... नाम कर्म समलोच्छेदाय श्रीवीर जिनेन्द्राय फलं यजामहे स्वाहा ।
॥ कलश ॥ [आठवें दिन की पूजा ( अन्तराय कर्म निवारण पूजा) के अन्त में प्रकाशित कलश बोलें।)