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________________ पाँचवे दिन आयुष्य कर्म निवारण पूजा पढ़ावें || आयुष्य कर्म निवारण पूजा ॥ " [प्रारम्भ में मंगल पीठिका के दोहे पहले दिन की पूजा (ज्ञानावरणीय कर्म निवारण पूजा ) से देखकर घोलें, और अन्त में कलश आठवें दिन की पूजा ( अन्तराय कर्म निवारण पूजा ) के अन्त में प्रकाशित कलश वोलें । प्रति पूजा मे काव्य भी पहले दिन की पूजा के समान वोल्ने होंगे। मंत्र मे कर्म नाम बदल कर बोलें । ] मंगल पीठिका दोहा पूर्वरत् ॥ प्रथम जल पूजा || ॥ दोहा ॥ जीवन कारागार सा, आयु करम सम्बन्ध | होता चार प्रकार से, चारगति प्रतिवन्ध ॥ १ ॥ पुरुषास्थ प्रभु की दया, प्रभु पूजा अधिकार । निज प्रभुता प्रकटे मिटे, भन्त्र भय कारागार ॥२॥
SR No.034089
Book TitleBruhat Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshanashreeji
PublisherGyanchand Lunavat
Publication Year1981
Total Pages474
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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