SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 34
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ १२ ] चौवीस, पूजो रे चौबीस, सोभागी चौबीस, बैरागी चौबीस जिणन्दा । कुसुमाञ्जलिमेलो पार्श्व जिणन्दा ॥ ___ मंत्र-ॐ हीं अर्ह परमात्मने, अनन्तानन्त ज्ञान शक्तये, जन्म-जरा - मृत्यु - निवारणाय, श्री पार्श्व जिनेन्द्राय [श्रीमज्जिनेन्द्राय ] कुसुमाञ्जलि-यजामहे स्वाहा ।। ___यह मंत्र पढ़कर कुसुमांजलि प्रभु के चरणों पर चौथी बार चढ़ावे । फिर प्रभु के दोनों कन्धों पर टीकी लगावे। फिर कुसुमांजलि हाथों में लेकर खड़ा रहे । तथा नीचे लिखा मंत्र पढ़े। मंत्र-ॐ नमोऽहत् सिद्धाचार्योपाध्याय सर्वसाधूभ्यः ॥ ॥दोहा॥ सम्मद्दिट्टी देसजय—साहु साहुणी सार ॥ आचारज उवज्झाय मुणि-जोनिम्मल आधार ॥५॥ ॥ ढाल ॥ चउविह संघे जे मन धार्यो,-मोक्षतणो कारण निरधार्यो । विविह कुसुम वर जाति गहेवी,-तसु चरणे प्रणमन्त ठवेवी ॥ .. कुसुमाञ्जलि मेलो, वीर जिणन्दा । तोरा चरणकमल चौबीस । पूजो रे चौबीस, सोभागी चौवीस वैरागी चौवीस जिणन्दा । कुसुमाञ्जलिमेलो-वीर जिणन्दा ॥५॥
SR No.034089
Book TitleBruhat Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshanashreeji
PublisherGyanchand Lunavat
Publication Year1981
Total Pages474
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy