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________________ ३१४ वृहत् पूजा-संग्रह ॥ नवम ध्वज पूजा || ॥ दोहा ॥ नवमी ध्वजनी पूजना, लावो जिन दरवार | सधवस्त्री लेई करी, करे प्रदक्षिणा सार || १ || धवल मंगल गातां छतां, वाजित्र विविध प्रकार | कैलाश गिरिना शिखरपर, आरोपो सुविचार ||२॥ ( तर्ज राग श्री - जिनगुणगाणं श्रत अमृतं ) ध्वजपूजन करो सुख सदनं || ध्वज ० || सहस योजन दंड मनोहर, सुवरणमय जनमन हरणं ॥ ध्वज० ॥ १ ॥ किकिणी रणकत शब्द मनोहर, दिव्यध्वनि श्रवणं ॥ ध्वज० || २ || एक हजारके अष्ट ऊपर वलि, सोहे पताका पंचवरणं ॥ ध्वज० ||३|| मनमोहन ए ध्वज निरखीने, भविने परमानन्द करणं ॥ ध्वज० || ४ || इण गिरिके पटनाम सुहंकर, नन्दभद्र गिरिसुखकरणं || ध्वज ० ||५|| अपाढ सुदी अष्टमी दिनकीनो, शिवरमणीको कर ग्रहणं ॥ ध्वज० ||६|| पांचसे षट् त्रिंशत मुनि साथै, सादिअनन्त स्थितिवरणं ॥ ध्वज० ॥ ७ ॥ मंत्र — ॐ ह्रीं श्री पर० ध्वजं यजामहे स्वाहा ॥
SR No.034089
Book TitleBruhat Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshanashreeji
PublisherGyanchand Lunavat
Publication Year1981
Total Pages474
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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