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________________ ३१२ वृहत् पूजा संग्रह नेम नगीना नाथने, आगल धरो मन रंग। अक्षय सुख वरवा भणी, पूजा करो चितचंग ॥२॥ (तर्ज-लूहर सारंग -रामत रमवा में गई थी) नेमि जिनेसर पूजीये, एतो खतगिरिनो रायो हे माय ॥नेमि०॥ समवशरणमें वेसिने, एतो वचनामृत वरसायो हे माय । भव्य हृदय भूसींचाने, एतो वोध वीज निपजायो हे माय । नेमि० ॥१॥ मेघध्वनि जिम गाजता, एतो संघ चतुरविध ठायो हे माय। देश विदेशमा विचरतो, शिवमारग दरसायो हे माय । नेमि० ॥ २ ॥ सेजे गिरिवर फरशने, एतो गिरनार नाथ कहायो हे माय । अढार सहस वाचंयमी, एतो वरदत्तादि गणरायो हे माय ॥ नेमि० ॥ ३॥ चालीस सहस्त्र श्रमणी भली, एतो यक्षणी प्रमुख सुहायो हे माय । एक लाख गुणोत्तर सहस, एतो श्रावकनो समुदायो हे माय ॥ नेमि० ॥४॥ प्रण लक्ष अढार सहस वली, एतो सुजश श्राविका पायो हे माय । भोज्यपदारथ थी प्रभु पूजी, एतो अनाहार नाम कहायो हे माय ॥ नेमि० ॥ ५ ॥ मंत्र-ॐ ही श्री पर....."नैवेद्य यजामहे स्वाहा ॥
SR No.034089
Book TitleBruhat Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshanashreeji
PublisherGyanchand Lunavat
Publication Year1981
Total Pages474
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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