SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 295
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २८७ श्री शांतिनाथ पंचकल्याणक पूजा वीस धानक सेनी मेघरथने तीर्थकर पद सारारे । निकाचितपने प्राप्त किया शुभ आनद मंगलकारारे ॥ चि० ||६|| सखारथ सिद्ध उपने दोनों मुनि अनशन निरधारारे । आतम लक्ष्मी हर्प अनुपम वल्लभ जय जयकारारे ॥ चि० ॥ ७ ॥ ॥ दोहा ॥ भरत क्षेत्र कुरु देश में, गजपुर नगर सुठाम । विश्वसेन नृप घर सती, अचिरा राणी नाम ॥१॥ एक दिवस पुण्य योगसे, राणी आधी रात 1 सुखशय्यामे देखती, चउद सुपन महा जात ॥२॥ भादरसा वदि सातमे, शशि भरणीके योग | ससारथ सिद्धसे च्यवी, आयु पूरण भोग ॥३॥ जीव मेवरथ जानिये, अचिरा उदरे आय । पुत्रपने पैदा हुआ, पूरण पुण्य जागी अचिरा सुपनको याद करी राजा पासे जायके, सुन्दर वचन उचार ||५|| क्रमवार । पसाय ॥४॥ (तर्ज- आशायरी नृपभ प्रभु भनजउ पार उतार ) सुपन फल कहिये नाथ विचार सुपन० ॥ जंचली ॥ पाधि व्याधि गोच फिकर नहीं, नहीं है तनमें विकार |
SR No.034089
Book TitleBruhat Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshanashreeji
PublisherGyanchand Lunavat
Publication Year1981
Total Pages474
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy