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________________ श्री आदीश्वर पंचकल्याणक पूजा २५३ वलमें, चैत्य करावे जिनद ॥ जि० ॥५॥ चउवीस जिनपिंच थापी भरतजी, तन मन अतिविकमन्द ॥ जि० ॥६॥ बदन कमल कांन्ति प्रभु निरसी, हसभरतहुलसद ॥ जि० ॥७॥ आतम लक्ष्मी प्रभुता प्रगटी, वल्लभ हर्प अमद । जि०|८|| ॥ कलश ॥ (रेखता) प्रमुश्री आदि जिनराया, कल्याणक पांच शुभ भावे । आराधे जो भवि प्रानी, अपुनरावृत्ति फल पावे ॥२॥ सिद्धाचल१ आबूर मेत्राणा३, जघडिया४ काची५ देलवारा६ । अचलगढ कांगडा८ कुल्पाकद , माणक१० स्वामी आनदकारा ॥२॥ घाणेरा११ कोरटा१२ नाडुलाई१३, अयोध्या१४ और पुरिमताला राणकपुर१६ राजनगर१७ दीपे, केसरियानाथ१८ उपरियाला१६ ॥३॥ इत्यादि तीर्थ नगर ग्रामे, प्रभुश्री आदि जिनदेवा । कल्याणक पूजना काजे, करी रचना प्रभु सेवा ॥४॥ नगर शिवगजसे चलके, आयो सघ नाथ धूलेवा। करी करुणा कृपासागर, दीजे फल आपकी सेना ॥५॥ मुखी गोमराज हसाजी, सकल परिवारके सगे। करी यात्रा कराई है, निकाली सघ अति रगे ॥६॥ सतावीस२७साधु साधविया, उणत्तर६६ साथ सघ आवे । केसरिया नाथके दर्शन की महानतको पावे ||9|| मपित
SR No.034089
Book TitleBruhat Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshanashreeji
PublisherGyanchand Lunavat
Publication Year1981
Total Pages474
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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