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________________ तेरहवाँ प्रकरण मूलम् । अकिञ्चनभवं स्वास्थ्यं कौपीनत्वेऽपि दुर्लभम् । त्यागादाने विहायास्मादहमासेयथासुखम् ॥ १ ॥ पदच्छेदः । अकिञ्चनभवम्, स्वास्थ्यम्, कौपीनत्वे, अपि दुर्लभम्, त्यागादाने, विहाय, अस्मात्, अहम्, आसे, यथासुखम् ॥ शब्दार्थ | अन्वयः । अकिञ्चनभवम्= -: स्वास्थ्यम् = स्थिरता, सो कौपीनत्वे अपि-भी दुर्लभम् = दुर्लभ है करते हैं— शब्दार्थ | अन्वयः । कुछ ऐसे विचार से पैदा हुई जो चित्त की कौपीन के धारण करने पर अस्मात् = इस कारण से { त्यागादाने= त्याग और ग्रहण को विहाय = छोड़ करके अहम् = मैं यथासुखम् = सुख-पूर्वक आसे = स्थित हूँ || भावार्थ । इस त्रयोदश प्रकरण में जीवन्मुक्त के फल का निरूपण
SR No.034087
Book TitleAstavakra Gita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRaibahaddur Babu Jalimsinh
PublisherTejkumar Press
Publication Year1971
Total Pages405
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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