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________________ स्वरशास्त्र करतां वधार उडं ज्ञान, स्वरशास्त्र करता वारे उपयोगी दोलत, स्वरशास्त्र करतां वधारे निमकहलाल मित्र कदापि जोवामां के सांभळवामां आव्यो नथी. स्वरशक्तिथी शत्रु नाश पामे छ, मित्रो एक बीजा प्रति आकर्षाय छे. स्वरशक्तिथी धन, आश्वासन अने कीर्ति प्राप्त थाय छे. स्वरशक्तिथी पुत्री के पुत्र मळे छ, अथवा राजाने मळी शकाय छे; देवो पण ते शक्तिथी संतुष्ट थाय छे, अने राजा पण मनुष्यने वश थाय छे. स्वरशक्तिथी गति करी शकाय छे. स्वरशक्तिथी खोराक लेइ शकाय छे. मूत्र अने पूरीषोत्सर्ग क्रिया पण स्वरनी शक्तिथीज थाय छे. सघळां शास्त्रो, सघळो पुराणो, वेदांत अने उपनिषधी शरु करीने सर्व शास्त्रोमा स्वरज्ञान करतां वधारे उत्तम तत्त्व बीजं एक पण नथी. सघळां नाम अने रुप छे; आमां भूल खाइ लोको आथडे छे. ज्यां सुधी मनुष्यो तत्वोने न जाणे त्यां सुधी तेओ अज्ञानमां भटके छे. आ स्वरशास्त्र उच्चमा उच्च छे. आत्ममंदिरने प्रकाश आपवाने ते एक दीपक समान छे. ज्यां सुधी कोइ सवाल न पूछे त्यां :सुधी आ के पेला माणसने आ स्वरशास्त्रनुं ज्ञान आपबुं न जोइए. माटे पोताना ज प्रयत्नथी आमामां अंने आत्माथी ज जाणवू जोइए. ___ ज्यारे आ स्वर उपर मनुष्यने संपूर्ण सत्ता मळे छे, त्यारे हे शिष्य ! चंद्र के दिवस, नक्षत्र के सूर्य, वार के ग्रह, .. देव के वरसाद, व्यतिपात के वैध्रत-आ सर्व तेना पर असर करी शकता नथी. पण सर्व बदलाइ तेने लाभरुप थाय छे. शरीरमा नाडीओने घगा आकारो होय छे, अने घणी जग्याए फेलायेली होय छे. ज्ञानने खातर डाह्या पुरुषोए ते नाडीओने ओळ. खवी जोइए. नाभिना मूळमाथी शरु करी भाखा शरीरमा ७२००० नाडीओ आवेली छे.. नाभिनी अंदर कुंडलिनी शक्ति सर्पनी माफक आवेली छे, त्यांची दश नाडीओ उंचे जाय छे, अने दश नाडीओ नीचे जाय छे.. Scanned by CamScanner
SR No.034084
Book TitleSwarshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVadilal Motilal Shah
PublisherVadilal Motilal Shah
Publication Year1910
Total Pages47
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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