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________________ गुप्त मददगारनां थोडांक दृष्टान्तो. लंडनना परामा काम करतो एक मजुर बे छोकरांने निराधार अने मा वगरनां मुकी मरी गयो. तेना मरण पछी ते बे छोकरानी सभाळ करमार कोइ नथी, ए विचारमा तेनुं मन एटलुं बधुं गरक थइ गयुं हतुं के ते आगळ वधी शक्यो नहि. ते मजुर हतो अने चिलायतमा खर्च पुष्कळ होवाथी ते कांह पण धन बचावी शक्यो नहतो. ही स्त्री अगा मरण पामी हती. अने जे घरमा ते रहेतो ते घरनी मालीक बाइ जो के बहु दयाळु अन्तःकरणनी हती, छतां आवे छोकरांने दत्तक लेइ नछेरी शके एवी पैसा संबंधी तेनी स्थिति महती. तेथी तेणी नाखुशीथी एवा ठरावपर आवी हती के, अनाथाश्रममा ते बे छोकराने मोकली भापवां. आथी ते मरण पामेला पिताने अत्यंत दुःख थतुं हतु; जोके से घरनी मालीक बाइने ठपको आपतो नहतो छतां शु करवं ते तेने सूझतुं नहतु... ... . . .. .. - आपणा गेबी मददगारे' ते पिताने पूछयुः " जेने तमे आ छोकराओ निर्भयरीते सेपी शको एवो कोइपण तमारो स्वजन छे ?" " ते मरण पामेलाए जवाब आप्योः “एवो तो कोइ मारो सगो मथी पग मारे एक नानो भाइ हतो, अने जो ते मारी हकीकत जाणे तो जरुर मपदे आज्या विना रहे नहि. पण छेल्ला पंदर वर्षथी ते मने छोडी चाल्यो गयो छे, अने हाल ते क्यों रहे छ, अथवा जीवे छे के .मरी गयो छे, तेनी. पण मने खबर नथी. छेल्लीवार ज्यारे मने पत्र Scanned by CamScanner
SR No.034084
Book TitleSwarshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVadilal Motilal Shah
PublisherVadilal Motilal Shah
Publication Year1910
Total Pages47
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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