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________________ जो लडाइ संबंधी कोइ प्रभ पुछे, अने जो ते पूछनार पूर्ण नाही तरफ उभो होय तो जरूर ते विजय पामवानो; पग जो ते खाली नाही तरफ उभो होय तो अवश्य ते पराभव पामे. पृश्योतत्व जगावे छे के पेटमां घा पडेलो छे; जळतत्व पगर्मा, अग्नितत्व जांधा, वायुतत्व हाथमा अने भाकाशतत्व माथामा घा पडया जगावे छे. आ पांच प्रकारना घा स्वरशास्त्रमा वर्गवेला छे. जेना नामना अक्षर बेकी (बे, चार, छ के आठ ) होय ते जो चंद्रस्वामां सवाल पूछे तो ते जरूर विजय भेळवे छे. जेना नामना अक्षर एको ( एक, ग, पांध के सात ) होय ते जो सूर्यस्वरमा प्रश्न पूछे तो ते जरुर विजय भेळवे छे. जो पंद्रस्वरमा सवाल पूछवामां आवे तो ते सवालनो शांतिमा अंत आवे छे, अने जो सूर्यस्वरमा पुलवामां आवे तो अवश्य लडाइ थाय. पृथ्वीतत्त्वमा युद्धमा बन्ने पक्ष सरखा उतरशे; जळत-स्वमा परिणाम सरखं आवशे. तेजस्त-त्वमा हार-पराभव थशे. वायु अने आकाशतत्वमा मरग थशे. जो कदाच कोइ कारगथी कइ बाजुनी नाडी वहे छे, ते बाबतनी बराबर सवाल व खते सजग न पडे तो डाह्या मनु ये आ नीनी युक्तिनो आश्रय लेवो. _ शांत अने स्थिर बेसवु, अने पोताना तरफ बीजाने एक पुष्प ना. खवा जगाववू; जरुर ते पुष्प पूर्ण नाही तरफ पहशे. पछी तेणे सामा पुरुषने जवाब आपवो. - आ के बीजे स्थळे स्वरशास्त्रना नियमोनो जाणनार प्रबळ शक्तिमान् गगाय छे. तेना करतां वधारे समर्थ बीजो कोण होइ शके ? ' 'शिष्ये पूछयुः-ज्यारे मनु यो माहोमांहे लडे त्यारे तो उपर जगा. वेला नियमो ला। पडे, पण मनु यो ज्यारे यम साथै लडे त्यारे विजय शी रीते प्राप्त थाय ? . गुरुः–ज्यारे प्राण शांत होय त्यारे चंद्रत्वरमा इष्ट देवनी स्तुति करवी, अने ज्यारे बन्ने प्राण मळे एटले के सुषुम्ना नाडी चालती होय त्यारे तेणे मरवू जोहए. जो आ प्रमाणे से करी शके तो तेनी इच्छा प्रमाणे लाभ अने विजय ते मेळवी शके छे. Scanned by CamScanner
SR No.034084
Book TitleSwarshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVadilal Motilal Shah
PublisherVadilal Motilal Shah
Publication Year1910
Total Pages47
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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