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________________ ( १३ ) एक पळे एक नसकोरामा पवन चालतो होय अने बीजी क्षणे बीजा नसकोरामा पवन चालतो होय तेवी विसमभाव स्थितिमा कोइए मुसाफरी करवानो विचार करबो नहि. कारण के तेम करवाथी दुःख के मृत्यु जरुर नीपजे छे. नाडी बद्दलाय के तत्व बदलाय तो दान वगेर मंगलकारी कहि पण शुभ काम करतुं नहि. सम्मुख, डाबी बाजुए अने उंचे चंद्र छे; पछवाडे, जमणीबाजुए अने नीचे सूर्य छे. आ प्रमाणे सुज्ञ मनुष्योए “भरेलु” अने “खाली" ए शब्दनो अर्थ बराबर समजवो जोइए. जे खबर आपनार दूत उंचे, सन्मुख के डाबी बाजुए होय से चंद्रमा मागे छे अने जे नीचे, पछवाडे के जमणी बाजुए होय ते सूर्यना मार्गमा छे. * * * * * * * ** तो. शिष्ये कः - हे महान् देव ! तमे एवं ज्ञान धरावो छो के जे ज्ञानमुं रहस्य जाणवाथी आखुं जगत् मुक्त थइ शके; ते ज्ञान शुं छे ते मने जणावो. गुरुः- स्वरज्ञानमा रहस्य सिवाय बीजो कोइ देव नथी. जे योगी, स्वर शास्त्र बराबर समजे. ते मोटामां मोटो योगी समजवो. पांच तत्वोमाथी सृष्टिमी उत्पत्ति थाय छे, अने तत्व तत्वमां विलय पामे छे. पांच तस्वनुं ज्ञान ए उंचामां उंचु ज्ञान छे. आ पांच तत्वोनी पेलीपार अरूपी तत्व (आत्मा) वसे छे. पृथ्वीतत्व, जळतत्व, तेजस्तत्व, वायुतत्व अने आकाशतत्वः ए पांच तत्व छे, सकुं आ पांचतत्वोनुं बनेलुं छे. जे आ पांच तत्वोने यथार्थ जा ळे ते खरेखर पूज्य छे, वंदनीय छे. Scanned by CamScanner जगतनां सघळां प्राणीओमा सर्वस्थळे तत्वो एक सरखां छे. जगतथी सत्य लोक सुधी फक्त नाडीओना चक्रमां फेर के. जमणी तेमज डाबी बाजुएथी आ पांचतत्वोनो उदय थाय छे. आ तत्वोनुं ज्ञान आठ प्रकारर्नु छे. हे शिष्य ! से तुं सांभळ; हुं तने से कहीश.
SR No.034084
Book TitleSwarshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVadilal Motilal Shah
PublisherVadilal Motilal Shah
Publication Year1910
Total Pages47
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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