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________________ (२३३) कतांश्रो चोडवानुं पूतुं लक्ष राखg जोइए. तेमां मूलनायकजीने चो. डवां एम नहि, सर्व प्रतिमाजी महाराजने चोडवानुं लक्ष राखg जोइए. केटलाएक खाडा पड्या पछी चोडवानो विचार करे छे तेम न थर्बु जोइए, पहेलेथी चोडवां जोइए के खाडा पडवानी आशातना थाय ज नहि. प्रश्नः-१५३ फूलनी जग्याए केसरवाला चोखा करी चडावीए तो केम ? उत्तरः-स्नात्र भणावती वखत बीजां फूल न मले तो चडावे छे, तेमां हरकत जणाती नथी. कारण जे पोतानी पुष्पपूजानी भावना छे ने फूल मलतां नथी तो पोतानी भावना पूरी करवा फूलने बदले केसरवाला चोखा करीने चडावे तो कंइ हरकत नथी. प्रश्नः-१५४ जे जीवे मरण वखते शरीर वोशिराव्यु नथी. ते श. रीर बडे शुभाशुभ जे क्रिया थाय, तेनुं शुभाशुभ बन्ने फल थाय के केम ? उत्तरः-शरीर वोशिराव्या विना ने मरे छे, अने तेना शरीरवडे जे जे दुष्ट क्रिया थाय छे, तेनां कर्म ते शरीरना धणीने आवे छे. एम भगवतीमां पांच क्रियाना अधिकारमा कां छे. माटे हरेक प्रकारे आयुष्यनुं ज्ञान मेलवी मरती वखत संथारो करी सर्वे वस्तु वोशिराववी अने वोशिरावीने मरण करवाथी आराधक थाय तेथी बीजे भवे मुनि अने सातमे भवे श्रावक मोक्षे जाय. वली ए शरीरे शुभकर्म थाय ते विषे पण वासुपूज्यस्वामीना चरित्रमा जे जे एकेंद्रिपणे शरीर भगवंतनी भक्तिना काममां आव्यां छे, तेनी अनुमोदना करी छे ते जोतां अनु. मोदना करवाथी शुभ कर्मनो पण लाभ थाय छे. प्रश्नः-१५५ जे जे वस्तु वोशिराववामां आवे छे, ते आ भवना अंत सुधी वोशिराववामां आवे छे तो श्रावते भवे तेनुं पाप श्रावे के केम ? उत्तरः-श्रा भवमा जे जे बोशिरावे छे ते तेना उपरथी रागदशा टु. Scanned by CamScanner
SR No.034080
Book TitlePrashnottar Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupchand Malukchand Sheth
PublisherJain Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1906
Total Pages299
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size135 MB
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