SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 236
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २२५ ) त्यारे तेमना उपर आस्ता राखवी एज योग्य छे. माणसो सूर्य पृथ्विनी वा त प्रत्यक्ष गणे छे, पण ए प्रत्यक्ष नथी. कारण जे ए लोक त्रण करोड माइल दूर सूर्य कहे छे तेनुं मुकरर करे छे ते अनुमानथी करे छे. दूर कहे छे ते अनुमानथी कहे छे. तेम पृथ्विनुं मान कहे छे ते पण अनुमानथी करे छे माटे अनुमानमां घणो फेर पडी जाय छे. जेम के डुंगरो छे ते उंचा छे. पण दूरथी जोइए तो नीचा देखाय छे, एक माणस नीचे उभो छे ने तेने सात मालनी हवेली मांथी जोइशुं, तो ते माणस नहानो सरखो देखाशे. वली कंइक चित्र चितरेलां छे ते बे आंखो उघाडी राखी जोइ तो चित्र ज देखाशे. बधुं अंग देखाशे नहि. तेज चित्र जो एक आंख मीचीने एक आंखे धारी धारीने जोइशुं तो चित्रमां चितरेलुं माणस साक्षात् जेवुं माणस होय एवं देखाशे. खरी रीते जोइए तो चित्र छे ते कइ वस्तुपणे माणस नथी. ते छतां माणस देखाय छे. एम ज दूरबीनथी पण विचित्र प्रकारां देखाय तेमां केटलाएक भ्रम रहि जाय. माटे ज्यां ज्यां जे वस्तु छे, ते वस्तु ते ठेकाणे जइने जोइ नथी त्यां सुधी ते वात मानवी ते व्याजबी नथी. कोइना कहेवार्थी सर्वज्ञना वचननी प्रास्ता छोडवी नहीं. बधे ठेकाणे फरी निर्धार करवो जोइए. ते बनी शकतुं नथी, त्यारे इंग्रेजोनुं कहेवुं अनुमाननुं मानवुं, ते करतां सर्वज्ञनुं कह्युं मानवुं तेज सारुं छे. आवा विचार करी आत्मार्थिने तो कांइ पण व्यामोह थतो नथी. बीजी ते आत्माने तो संसारथी मुक्त थवुं छे, ते मुक्त थवाना उपाय जे सर्व ज्ञे बताया छे, तेनो अभ्यास करतां सर्वज्ञता प्रगट थशे, त्यारे बधुं देखाइ जशे . हाल ए तकरारमां महारी शक्ति विना क्यां पहुं ? ए तकरार - मां पहुं तो मां बधी तपास करतां महारी उम्मर वहि जाय तो पछी महारे आत्मसाधन करवुं तेनो वखत मले नहि. माटे हाल तो श्रात्मसाधन करी जडभावमां जे महारी प्रवृत्ति छे, तेथी मुक्त थउं. अने स्वभावमा रहेवाने उद्यम करूं. आम विचार करी दश प्रकारनो यतिधर्म Scanned by CamScanner
SR No.034080
Book TitlePrashnottar Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupchand Malukchand Sheth
PublisherJain Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1906
Total Pages299
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size135 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy