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________________ (१८७ ) सूर्यनो तडको देखाय त्यां सुधीमां तो नोकारशीनो काल थतोज नथी, त्यारे सूर्य उदयथी जबे घडी रही, वली शेनप्रश्नमां पाने ५६ मे प्रश्न ९१ मुंछे त्यां पण सूर्योदयथी बे घडी कही छे. ते उपर शेनप्रश्नमा योग शास्त्रनी साक्षी आपी छे. वली तेज प्रमाणे प्रवचनसारोद्धारनी टीकामां तथा पंचाशकनी टीकामां तथा श्राद्धविधिमां पण सूर्योदयथी बे घडीए नवकारसी थाय एम अर्थ जणाय छे. माटे नवकारशी करीने वहेलुं. दातण करवू ते योग्य नथी. प्रश्नः-१२५ प्रभुने वस्त्र पहेराववानो अधिकार शास्त्रमा आवे छे ते. पहेरावता नथी तेनुं शुं कारण ? उत्तरः-शेनप्रश्नमा ए बाबतनुं प्रश्न २४ पाने १७ मे छे तेमां कयुं छे. जे जिनबिंबने वस्त्र पहेराववां कह्यां छे. परंतु प्रधान वस्त्र प्रांगी प्रमुख मां आभरणनी पेठे उचित करवु योग्य छे, पण मस्तक उपर मूकवू ते योग्य नथी. ा मुजब खुलासो छे. एथी समजाय छे के केटलांएक वर्ष थयां प्रवृत्ति बंध थइ गइ छे; पण आंगी प्रमुखमां वपराय छे. वली शा. स्त्रमा कोइ, आचार्य बंध कर्यो एवो अधिकार जणातो नथी. प्रश्नः-१२६ देवताने अवधिज्ञान क्यां सुधीन होय ? उत्तरः-सुधर्म देवलोक तथा इशान देवलोकना देवताने नीचुं पहेली रत्नप्रभा नरक सुधी होय. सनत्कुमार ने माहेंद्रना देवताने बीजी शक. प्रभा नरक सुधी होय. ब्रह्म ने लांतकना देवताने नीचं त्रीजी वालप्रभा नरक सुधी होय. शुक्र ने सहस्रार देवलोकने नीचुं चोथी पंकप्रभा नरक संघी होय. आणत ने प्राणत ए बेना देवताने पांचमी धूमप्रभा सुधीन ज्ञान होय. आरण ने अच्युत देवलोकना देवताने छठ्ठी तमप्रभा नरक सुधी होय, तथा पहेलेथी छठा ग्रैवेयकना देवता पण धूमप्रभा सुधी देखे, पण ते बारमा देवलोकना देवता करतां विशुद्ध विशुद्ध देखे. सातमा आठमा ने नवमा ग्रैवेयकना देवता सातमी तमतमा नरक सुधी देखे. अनुत्तर विमानना देवता भिन्न चौदाजलोक देखे. एटले चौदराज लो. Scanned by CamScanner
SR No.034080
Book TitlePrashnottar Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupchand Malukchand Sheth
PublisherJain Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1906
Total Pages299
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size135 MB
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