SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 20
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १६ ) लिखता जाय और बांये ह थ से मिटा कर मुष्टि बन्ध करता जाय इस तरह अमुक संख्या में लिख ने बाद मुष्टि बन्ध कर जाप करेजाप पूर्ण होते हो मुष्टि खोल दिशा में फेंकने जैसा हाथ लम्बा करे तो चोरादि भय नहीं होता और चोर दृष्टिगत भी नहीं होते। ।।शुभाशुभ दर्शय मन्त्र ।। ___ॐ ह्रीं अहं नमः वीं स्वाहा ॥४८।। इस मन्त्र का जाप करने से पहले निज के हाथों को चन्दन से लिप्त कर लेवे बाद में १०८ जाप कर मौनपने भूमिशैय्या पर सो जावे तो स्वप्न में शुभाशुभ का भास होता है । ॥प्रश्नोत्तर विजय मन्त्र ।। ॐ नमो भगवइ सुय देवयाएसव्वसुय मायाए बारसंगपवयग जगणीए सरस्सइये सच्चवायरिण सुववउ अवतर अवतर देवी मम सरीरं पविस पुच्छं तस्स पविस्स सव्वजरणमय हरिए अरिहंत सिरिए स्वाहा ।।४।। इस मन्त्र को साध्य करने बाद प्रश्नोत्तर का कार्य हो तब या किसी मूकदमे के समय सवाल जवाब करने से पहले अमुक जाप इस मन्त्र के करने से विजय प्राप्त होगा, और हर्ष उत्पन्न होगा। ॥सर्व रक्षा मन्त्र ।। ॐनमो अरिहन्तारणं ॐनमोसिद्धारणं ॐनमो पायरियाणं, ॐनमो उवज्झायाणं, ॐनमो लोएसव्व साहूरणं, एसो पंच नमुक्कारो, सव्वपावप्पणासपो, मङ्गलाणंचसम्वेसि, पढ़मं हवइ मंगलं, ॐ ह्रीं हुं फट् स्वाहा ॥५०॥ इस मन्त्र का स्मरण प्रत्येक कार्य में सुखदाई है । नित्यप्रति खूब ध्यान करना चाहिये सर्वथा आनन्ददायक यह महामन्त्र है। Scanned by CamScanner
SR No.034079
Book TitleNamaskar Mantrodadhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaychandravijay
PublisherSaujanya Seva Sangh
Publication Year
Total Pages50
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy