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________________ ( १२ ) नमो आयरियारणं मध्यमयोः नमो उवझायारणं अनामिकयो, ।। नमो लोए सव्वसाहरणं कनिष्टकयोः एसोपञ्च नमुक्कारो वज्रमयं प्राकारं सव्व पावप्पणासरणो जल भृतां । खातिकां, मङ्गलाणंच सवेस्सिं ।। .: खदिराङ्गारपूर्णी खांतिकां, प्रात्मानं निश्चिन्त्य महाशकली करणं ॥२६॥ . - इस मन्त्र का विधान हमारे समझ में बराबर नहीं पाया अतः गुरूगम में जानना चाहिये । इसमें सकली करण भी पा गया है। ॥अनुपम मन्त्र ॥ ॐह्रां ह्रीं हूँ ह्रौं ह्रप्र.सि.पा उ. सा. स्वाहा ॥३०॥ . यह मन्त्र अनुपम है, चित्त स्थिर रख कर कार्य शुद्धि कर विधि सहित साध्य करे तो अनुपम फलदाता सर्व सिद्धि दायक यह मन्त्र है। राम का ॥ सर्व कार्य सिद्धि मन्त्र ।। । ॐ ह्रीं श्री अहं प्र.सि. आ. उ. सा नमः ॥३१॥ यह मन्त्र सर्व कार्य की सिद्धि करने गला है । शुद्धोच्चार पूर्वक स्थिर चित्त से आराधन किया जाय बहुत आनन्ददायक है । बन्दीमुक्त मन्त्र TIME ॐ नमो अरिहन्ताणं जम्ल्य्यू निमः ॐ नमो सव्व सिद्धाण इल्ब्यूनमः Scanned by CamScanner
SR No.034079
Book TitleNamaskar Mantrodadhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaychandravijay
PublisherSaujanya Seva Sangh
Publication Year
Total Pages50
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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