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________________ माषाभास्कर , ___३० जहां प्रश्नवाचक शब्द नहीं रहता उस वाक्य में बोलनेवाले की ठा वा उसके उच्चारण के स्वरभेद से प्रश्न समझा जाता है। जैसे वह आया है मैं जाऊं घंटा बजा है मुझे डराते हो ऐं हाट बन्य हो गई। __३६८ सकर्मक धातु की भतकालिक क्रिया को छोड़कर शेष क्रिया के लिङ्ग और वचन कती के लिङ्ग और वचन के समान होते हैं। यह बात केवल कर्तप्रधान क्रिया की है। जैसे नदी बहती है लड़के खेलते हैं राजा दण्ड देगा। ३६६ यदि सकर्मक क्रिया हो और काल भूत हो तो पूर्वोक्त रीति . के अनुसार कती के आगे ने आवेगा और यदि कर्म का चिन्ह लग्न हो तो क्रिया के लिङ्ग वचन कर्म के अनुसार होंगे नहीं तो कती के लिड और वचन के अनुसार । जैसे लड़की ने घोड़े देखे लड़के ने पोथी पढी कुक्कटी ने अण्डे दिये बकरियों ने खेत चरा पिता ने पुत्र को पाया रानी ने सहेलियों को बुलाया इत्यादि ॥ ___ ३०० यदि एक ही क्रिया के अनेक कती रहें और वे लिङ्ग में समान न होवें तो क्रिया में बहुवचन होगा और लिङ्ग उसके अन्तिम कता के समान रहेगा । जैसे पृथ्वी चंद्रमा और सब यह सूर्य के आस पास घूमते हैं घोड़े बैल और बकरियां चरती हैं ॥ ___ ३०१ यदि अनेक लिङ्ग में असमान कती और क्रिया के मध्य में समुदायवाचक कोई पद आपड़े तो क्रिया पुल्लिङ्ग और बहुवचनान्त होगी। से नर नारी राजा रानी सब के सब बाहर निकले हैं ॥ ३०२ जो वाक्य में कई एक संज्ञा रहें और उनके समच्चायक से एकवचन समझा जाय तो निया में एकवचन होगा। जेसे धन जन स्त्री और राज्य मेरा क्यों न गया चार मास और तीन बरस इसके करने में लगा है। ३०३ यदि वाक्य में एक क्रिया के अनेक कती रहें और उनके समुच्चायक से बहुवचन विवक्षित है।वे तो क्रिया में बहुवचन हेगा । जैसे हसके मोल लेने में मैंने चार रुपैये सात आने छ दाम दिये हैं। ३०४ आदर के लिये क्रिया में बहुवचन होता है चाहे आदरपूर्वक शब्द कता के साथ रहे चाहे न रहे । जैसे लाला जी आये हैं पण्डित जी गये हे तुम क्या कहते हो। , Scanned by CamScanner
SR No.034057
Book TitleBhasha Bhaskar Arthat Hindi Bhasha ka Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorEthrington Padri
PublisherEthrington Padri
Publication Year1882
Total Pages125
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size43 MB
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