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________________ ४० भाषाभास्कर कर्म कारक। एक वचन । बहुवचन। कती *वह वा उसने वे उन ने वा उन्हें| ने उसको वा उसे उनको वा उन्हें वा उन्हें। को करण उस से उन से वा उन्हें। से सम्प्रदान उसको वा उसे उनको वा उन्हें वा उन्हें। को अपादान उन से वा उन्हें। से सम्बन्ध उस का-के-की उनका वा उन्हें। का-के-की अधिकरण उस में उन में वा उन्ही में ॥ १६२ कती कारक के एकवचन में और बहुवचन में ने चिन्ह के साथ उत्तमपुरुष और मध्यमपुरुष का कुछ विकार नहीं होता परंतु अन्यपुरुष यह को इस और ये को इन तथा वह को उस और वे को उन आदेश करते हैं ऐसे ही सब विभक्तियों के साथ समझो ॥ १६३ यदि उत्तम वा मध्यमपुरुष से परे कोई संज्ञा हो और उस संज्ञा के आगे ने वा का (के की) चिन्ह रहे तो मैं को मुझ तू को तुझ मेरा को मुझ-का और तेरा को तुझ-का आदेश कर देते हैं। जैसे मैंने यह बिना संज्ञा हे संज्ञा लगाओ तो मुझ ब्राह्मण ने हुा । ऐसे ही . तुझ निर्बुद्धि ने मुझ कङ्गाल का घर हम लोगों का वस्त्र इत्यादि ॥ । १६४ उत्तमपुरुष और मध्यमपुरुष के सम्बन्ध कारकके एकवचन में में को मे औरत को ते और बहुवचन में हम को हमा और तुम को तुम्हा आदेश करके सम्बन्ध कारक की विभक्ति का के की को रारेरी हो जाता है और शेष विभक्तियों के साथ संयोग होवे तो जैसा ने के साथ कहा है सोई जाना ॥ ___ १६५ इन सर्वनामों के कर्म और सम्प्रदान कारक में दो २ रूप होने से लाभ यह है कि दो को एकटे होकर उच्चारण को बिगाड़ देते हैं इस कारण एक को सहित और एक को रहित रहता है। जैसे में इसका तुमत्रा दूंगा यहां मैं इसे तुमको दंगा ऐसा बोलना चाहिये इत्यादि । १६६ आदर के लिये एक में बहुवचन और वहुत्व के निश्चयार्थ बहुवचन में लेग वा सब लगा देते हैं। जैसे तू क्या कहता है यहां आदर * यह और वह इन रूपों को कभी २ बहुवचन में भी योजना करते है। जेसे यह दो भाई आपस में नित्य लड़ते हैं। Scanned by CamScanner
SR No.034057
Book TitleBhasha Bhaskar Arthat Hindi Bhasha ka Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorEthrington Padri
PublisherEthrington Padri
Publication Year1882
Total Pages125
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size43 MB
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