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________________ भाषाभास्कर बाबू . মিলি मिसिराइन ठाकुर ठकुराइन बबुआइन ११० कई एक पुल्लिङ्ग शब्दों के स्त्रीलिङ्ग शब्द दूसरे ही होते हैं। जेसे पुल्लिङ्ग। स्त्रीलिङ्ग। पिता माता पुरुष स्त्री राना रानी बेल गाय भाई बहिन वचन के विषय में। १११ व्याकरण में वचन संख्या को कहते हैं और वे भाषा में दो ही हे एकवचन और बहुवचन । मिस शब्द के रूप से एक पदार्थ का बोध होता है उसे एकवचन और जिस से एक से अधिक समझा जाय उसे बहुवचन कहते हैं। जैसे लड़की गाती है यह एकवचन है और लड़कियां गाती हैं इसे बहुवचन कहते हैं ॥ __ ११२ संज्ञा में और क्रिया में एकवचन से बहुवचन बनाने की रीति आगे लिखी जायगी ॥ बहुत से स्थानों में एकवचन और बहुवचन के रूपों में कुछ भेद नहीं होता इस कारण अनेक के बोध के निमित्त गण आति लोग इत्यादि लगाते हैं। जेसे ग्रहगण देवगण मनुष्यजाति पशुजाति पण्डित लोग राजा लोग इत्यादि ॥ कारक के विषय में। ११३ कारक उसे कहते हैं कि जिसके द्वारा वाक्य में विशेष करके क्रिया के साथ अथवा दूसरे शब्दों के संग संज्ञा का सम्बन्ध ठीक २ प्रकाशित होता है। Scanned by CamScanner
SR No.034057
Book TitleBhasha Bhaskar Arthat Hindi Bhasha ka Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorEthrington Padri
PublisherEthrington Padri
Publication Year1882
Total Pages125
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size43 MB
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