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________________ भाषाभास्कर इस कारण कि उस से किसी विशेष मनुष्य का बोध नहीं परंतु मनुष्यगण अर्थात मनुष्य भर का बोध होता है* ॥ __६३ व्यक्तिवाचक मनुष्य देश नगर नदी पर्वत आदि के मुख्य नाम को कहते हैं। जैसे चण्डीदत्त बिश्वेश्वरप्रसाद भरतवर्ष काशी गंगा हिमालय बृन्दावन इत्यादि ॥ ६४ गुणवाचक संज्ञा वह कहाती है जो विभेदक होती है इस कारण उसे विशेषण भी कहते हैं। वाक्य में गणवाचक संज्ञा अकेली नहीं आती परंतु यहां उदाहरण के लिये उसे अकेली लिखते हैं। जैसे पी.ला नीला टेढ़ा सीधा ऊंचा नीचा उत्तम मध्यम ज्ञानी मानी इत्यादि । ___६५ भाववाचक संज्ञा का लक्षण यह है कि जिसके कहने से पदार्थ का धर्म वा स्वभाव समझा जाय अथवा उस से किसी व्यापार का बोध हो । जेसे ऊंचाई चौड़ाई समझ बझ दौड़ धप लेन देन छीन छोर बोल चाल इत्यादि ॥ ___६६ सर्वनाम संज्ञा उसे कहते हैं जो और संज्ञाओं के बदले में कही जाय । जैसे यह वह आन और जो सो कोई कोन कई आप में तू इत्यादि । सर्वनाम संज्ञा का प्रयोजन यह है कि किसी बस्तु का नाम कहकर यदि फिर उसके विषय कुछ चर्चा करने की आवश्यकता हो तो उसके बदले में सर्वनाम आता है और सर्वनाम से पूर्वोक्त नाम बोधित हो जाता है। सर्वनामों से यह फल निकलता है कि बारम्बार किसी संज्ञा का कहना नहीं पड़ता। इस से न तो विशेष बात बढ़ती है और * विद्यार्थी को चाहिये कि जातिवाचक का भेद इस रीति से समझ लेवे कि रामायण पोथी है भागवत भी पोथी हे हितोपदेश यह भी पोथी का नाम है तो कई पदार्थ हैं जो अनेक विषय में भिन्न २ हैं परंतु एक मुख्य विषय में समान हैं इस समानता के कारण उन सब पदाथों की एक ही जाति मानी जाती है और एक ही नातिवाचक नाम अर्थात पोथी उनको दिया गया है। रामायण के गुण भागवत वा हितोपदेश में नहीं हैं और रामायण नाम उन से कहा नहीं जाता परंतु पाथी के गुण रामायण में भागवत में और हितोपदेश में रहते हैं इस कारण पोथी यह जातिवाचक नाम तीनों से लगता है । Scanned by CamScanner
SR No.034057
Book TitleBhasha Bhaskar Arthat Hindi Bhasha ka Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorEthrington Padri
PublisherEthrington Padri
Publication Year1882
Total Pages125
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size43 MB
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