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________________ भाषाभास्कर निः + हस्त = निर्हस्त निः + अर्थ = निरर्थ निराधार निः + आधार = निः + इच्छा = निरिच्छा निः + उपाय = निरुपाय निः + औषध निरौषध = ८१ यदि विसर्ग के पूर्व ह्रस्व र दीर्घ अकार को छोड़कर कोई दूसरा स्वर होवे और बिसर्ग से परे रकार है।वे तो विसर्ग का लोप करके पूर्व स्वर को दीर्घ कर देते हैं । यथा निः + रस निः + रोग Scanned by CamScanner = नीरस नीरोग = निः + रन्ध्र = : नीरन्ध्र निः + रेफ = नीरेफ इति संधिप्रकरण ॥ अथ तृतीय अध्याय ॥ ٩٤ शब्द साधन । ८२ कह आये हैं कि शब्दसाधन उसे कहते हैं जिस में शब्दों के भेद अवस्था और व्युत्पत्ति का बर्णन होते हैं ॥ ८३ कान से जो सुनाई देवे उसे शब्द कहते हैं परंतु व्याकरण में केवल उन शब्दों का विचार किया जाता है जिनका कुछ अर्थ होता है । अर्थबोधक शब्द तीन प्रकार के होते हैं अर्थात संज्ञा क्रिया और अव्यय || ८४ संज्ञा वस्तु के नाम को कहते हैं । जैसे भारतवर्ष पृथिवी के एक खण्ड का नाम हे पीपल एक पेड़ का नाम हे भलाई एक गुण का नाम हे इत्यादि ।
SR No.034057
Book TitleBhasha Bhaskar Arthat Hindi Bhasha ka Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorEthrington Padri
PublisherEthrington Padri
Publication Year1882
Total Pages125
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size43 MB
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