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________________ भाषाभास्कर ०५ सं+ बन्ध = सम्बन्ध सं+ बुद्धि = सम्बुद्धि सं+ भव = सम्भव अनुस्वार से परे स्वर वर्ण रहे तो म हो जायगा। जेसे सं+आचार = समाचार सं+उदाय = समुदाय सं+ऋद्धि = समृद्धि ३ विसर्गसंधि ॥ २६ व्यंजन अथबा स्वर के साथ जो विसर्ग का विकार होता है उसे विसर्गसंधि कहते हैं ॥ _____० यदि इकार उकार पूर्वक विसर्ग से परे क ख वा प फ रहे तो विसर्ग को मूर्द्धन्य ष प्रायः हो जाता है। और स्थानों में विसर्ग ही बना रहता है। यथा निः + कारण = निष्कारण निः + कपट = निष्कपट निः + पाप = निष्याप नि: + पत्ति = निष्पत्ति निः + फल = निष्फल अन्तः+ करण = अन्तःकरण ___८ च छ विसर्ग से परे रहे तो विसर्ग को श और ट ठ परे होवे तो ष और त थ परे रहे तो स हो जाता है । यथा निः + चल = निश्चल निः + चिन्त = निश्चिन्त निः + छल = निश्छल धनुः + टङ्कार = धनुष्टङ्कार निः + तार = निस्तार 8. यदि विसर्ग से परे ग घ ज झ ड ढ द ध ब भ ङ ज ण न म य र ल व ह होवे तो विसर्ग को ओ हो जाता है। और स्वरों में से Scanned by CamScanner
SR No.034057
Book TitleBhasha Bhaskar Arthat Hindi Bhasha ka Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorEthrington Padri
PublisherEthrington Padri
Publication Year1882
Total Pages125
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size43 MB
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