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________________ भाषाभास्कर ३८३ जब गुणवाचक शब्द अपने विशेष्य के साथ आता है ना उस में न तो कारक न बहुवचन के चिन्ह रहते हें केवल विशेष्य के आगे आते हैं । जैसे मो.टयां रस्सियां मोटियों रस्सियों से ऐसा कहना अशुद्ध है। परंतु विशेष्य बोला न जाय और विशेषण ही दीख पड़े तो कारक के चिन्ह और आदेश भी बने रहते हैं । जेसे दीनों को मत सताओ भूखां को खिलाते हैं धनियों का आदर वहुत हे ता है निर्बलों की सहायता करो। ३८४ जब कर्म कारक का चिन्ह नहीं रहता ते। विशेषण कर्म के अनुसार होता है। जैसे मैंने लाठी सीधी की घोड़ी निका नके घर के साम्हने खड़ी करो । परंतु जब कर्म कारक का चिन्ह देख पड़ता है तब विशेषण कर्ता के अनुसार होता है। जैसे तुमने कांटों को क्या टेढा किया काठ के रङ्ग को और गहरा कर दे। ॥ ___३८५ यदि अकर्मक क्रिया के भिन्न २ लिङ्ग के अनेक कता हो जिनका विशेषण भी मिले तो उस में अंत्य का का लिङ्ग होगा । जैसे उस घर के पत्थर चना और ईट अच्छी हैं मेरा पिता माता और दोनों भाई जीते हैं सांवला लड़का और उसकी गोरी बहिनें होड़ती आती हैं। . ३८६ कर्तवाचक कर्मच चक और क्रियाद्योतक संज्ञा भी विशेषण हे।के प्राप्ती हैं और उन में वही नियम होते हैं जो ऊपर लिख आये हैं। जैसे लिखनेवाले रामानन्द को बुलाओ गानेवाली लड़की के साथ मरा हुआ घोड़ा खेत में पड़ा है निकाला हुआ घोड़ा बाहर लाओ । हिलती हुई डाली से फल गिरता है । इस में हिलती हुई क्रियाद्योतक संज्ञा हैं और वह अपने विशेष डाली की क्रिया बताती है ऐसे ही सर्वत्र । ... ३८० संख्यावाचक शब्द भी संख्यापूर्वक प्रत्यय ा अथवा वां के आने से संज्ञा का विशेषण होता है। और जो नियम आकारान्त गुणवाचक के हे सो उस में भी लगते हैं। जैसे तीसरी लड़की चे.ये लड़के की पाथी सातवें मास का नवां दिन दसवी स्त्री से ॥ ___ ३८८ एक विशेष्य के अनेक प्रकारान्त विशेषण होते। सब में वही लिङ्ग वचन होग. जो संज्ञा का है । जेसे बड़ी लम्बी कड़ी बड़े उंचे पेड़ पर स्वप में बड़ी ऊंची डावनी मर्नि मेरे ममुख आई । Scanned by CamScanner
SR No.034057
Book TitleBhasha Bhaskar Arthat Hindi Bhasha ka Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorEthrington Padri
PublisherEthrington Padri
Publication Year1882
Total Pages125
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size43 MB
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