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________________ पूरी हो जाने पर हूँफ चली जाती है। इसमें से छूटा कैसे जाए? जब लिए हुए अवलंबन कड़वे ज़हर जैसे लगने लगेंगे तब । ज्ञान जागृति हो तो अवलंबन नहीं रहता लेकिन उतनी जागृति लाए कहाँ से? अवलंबन का कारण इच्छा है। जब तक मीठा लगे तब तक अवलंबन छूटेगा ही नहीं। ज्ञानी को भी सभी संयोग मिलते हैं लेकिन उन्हें उनकी ज़रूरत ही नहीं होती। वे उनका निकाल कर देते हैं। कड़वे-मीठे संयोगों में से निकलें कैसे? उसके ज्ञाता-दृष्टा रहेंगे तो। दादाश्री के सिवा कोई भी महात्मा निरालंब नहीं हुआ है इसलिए आज्ञा में रहकर आगे बढ़ना है। जीवमात्र हूँफ ढूँढता है, वही अवलंबन है। हूँफ के बिना घबराहट होती है उसे। इसलिए दर्पण के पास जाकर खुद ही थप-थपाकर कहना कि 'हम हैं न! क्यों डरते हो!' इतना करने से किसी की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। हँफ कैसी चीज़ है? स्त्री को पति के बिना अकेले नींद नहीं आती। फिर भले ही पति सो चुका हो! हूँफ रहित जीवन, वही मोक्ष है। हूँफ से परवशता रहती है। क्या पति-पत्नी के बीच में कहीं प्रेम है? आसक्ति है! हूँफ के आधार पर। यह कप-प्लेट साथ में सो रहे हों तो क्या उनके बीच प्रेम ज्ञानी की हूँफ रखेंगे तभी निरालंब हो सकेंगे। दादाजी ने महात्माओं को सभी से छुड़वा दिया। अब जो हूँफ बची, वह डिस्चार्ज हूँफ है। ज्ञानी का आधार कब तक रखना है? निरालंब होने तक। जैसे कि बच्चों को उठाकर समुद्र में रखना पड़ता है लेकिन जैसे ही उसके पैर रेती तक पहुँचे कि उसे तुरंत छोड़ देते हैं! अतः तब तक ज्ञानी के पीछे-पीछे घूमते रहना है! महात्माओं का चीज़ों का अवलंबन छूट जाता है लेकिन व्यक्तियों 59
SR No.034041
Book TitleAptvani 13 Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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