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________________ [७] सब से अंतिम विज्ञान - 'मैं, बावा और मंगलदास' ४०१ जो आप हो, वह मुक्त होना चाहता है। पूछने वाले को ही मुक्त होना है। किसे मुक्त होना है? शादी करने वाला अगर ऐसा पूछे कि 'किसे शादी करनी है ?' तब लोग क्या कहेंगे, 'तेरी ही शादी होनी है न!' आप अपने आपको जो कुछ भी मानते हो न, वही आप हो। उसे मुक्त होना है। यदि अहंकार को छूटना है तो तू कौन है? पूछने वाला कौन है? पूछते समय ऐसा नहीं कह सकते। यों ही बात करनी हो तो ऐसा लगेगा कि भाई अब, अहंकार को मुक्त होना है। पूछते समय भ्रम होता है। जो अहंकार करके कुँवारा था, वही ऐसा कहता था कि मुझे शादी करनी है और जब उसकी शादी होने लगे, तब अगर वापस पूछे कि 'किसे शादी करनी है', तब हमें कहना पड़ेगा कि 'क्या अहंकार को शादी करनी है ? तो तू कौन है ?' इसलिए मुझे ऐसा कहना पड़ता है कि 'तुझे शादी करनी है'। पूछने वाले को ही शादी करनी है। प्रश्नकर्ता : ज्ञानीपुरुष अर्थात् ए.एम.पटेल? दादाश्री : नहीं। ए.एम.पटेल तो यह बॉडी है। हम ज्ञानीपुरुष हैं। ज्ञानीपुरुष अर्थात् जो 'आइ' डेवेलप होते-होते-होते, जो 'आइ' रहित डेवेलप हो गया है! दो ही बातें हैं, तीसरा कोई है ही नहीं। एक वह है जो मोक्ष ढूंढ रहा था और एक भगवान हैं। वे, जो मोक्ष स्वरूप होकर बैठे हैं। पुद्गल भी बन जाता है भगवान यह संसार क्या है? डेवेलपमेन्ट का प्रवाह है एक प्रकार का। अर्थात् वह प्रवाह उस तरह से चलता रहता है। उसमें शून्यता से लेकर डेवेलपमेन्ट बढ़ता ही जाता है। वह कैसा डेवेलपमेन्ट होता है? तो वह यह है कि आत्मा तो मूल जगह पर ही है लेकिन यह व्यवहार आत्मा इतना अधिक डेवेलप होता जाता है कि महावीर भगवान हुए। वह पुद्गल भगवान बन गया। क्या ऐसा स्वीकार होता है कि पुद्गल भगवान बन गया? प्रश्नकर्ता : हाँ बना ही है न! बनता ही है न! देख सकते हैं।
SR No.034041
Book TitleAptvani 13 Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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