SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 272
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [३] मैला करे वह भी पुद्गल, साफ करे वह भी पुद्गल १९१ वास्तव में हमने मैला नहीं किया है फिर भी हमने मान लिया कि 'मैंने किया है' अतः अपनी जवाबदेही आ गई। अब अगर साफ करते समय, साफ करता है उस समय कहे, 'मैं नहीं कर रहा हूँ' तो जवाबदेही खत्म हो जाएगी। जो मैला कर रहा है, वह तो पुद्गल है, और पूरा जगत् कहता है, 'मैं ही कर रहा हूँ'। गाय का दूध भी पुद्गल निकालता है और खुद कहता है, 'मैं दुह रहा हूँ'। गाय को कौन दुहता है? पुद्गल। और हम क्या कहते हैं ? 'मैंने दही।' और फिर जब उसके परिणाम स्वरूप साफ करने की बारी आती है तब? कहता है 'मैंने साफ किया'। उससे आती है जवाबदेही । वहाँ खुद ने भूल से जवाबदेही ले ली। पूरा जगत् जवाबदेही पर खड़ा है और हम जवाबदेही छोड़ रहे हैं। जब पुद्गल ने मैला किया, उस समय हमने कहा कि 'मैंने मैला किया'। ज़रा सा भी अगर उसने ऊँचा उठाया तो 'मैंने ऊँचा उठाया'। पुद्गल ऊँचा उठाता है, नफा भी पुद्गल कमाता है, नुकसान भी पुद्गल उठाता है। उसके लिए कहता है कि 'मैंने किया' इसीलिए तो हम मुश्किल में पड़ गए हैं। जो कहता है, 'मैंने किया' वह अहंकार है और 'मैंने इसमें कुछ भी नहीं किया', वह शुद्धात्मा है। 'मैंने किया' ऐसी उल्टी मान्यता ही मिथ्यात्व है और 'मैंने नहीं किया', वह सम्यक्त्व है। 'कर कौन रहा है', उसे समझ जाए तो हमेशा के लिए पहेली सुलझ जाए। मैला करने वाला पुद्गल है, पुद्गल ने मैला किया है और अगर उसे साफ करने को कहेंगे तो फिर वह वापस खुद साफ करने में लग जाएगा। जब वह खुद साफ करने में लग जाता है तब ऐसा मानता है कि 'मैं कर रहा हूँ'। वहाँ पर फिर भूल हो जाती है। साफ करने वाला बन जाता है। मैला करने वाला मिट गया और अब साफ करने वाला बन गया। खुद वही का वही। लोग वहीं पर फँसे हुए हैं। उसी कारण सारा बोझ है!
SR No.034041
Book TitleAptvani 13 Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy