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________________ [१] आड़ाई : रूठना : त्रागा न? ठगे जाते हैं, वह तो अगर अपने प्रारब्ध में लिखा होगा तो कोई ठगेगा, वर्ना कैसे ठग सकता है ? इस प्रकार धोखा खाते-खाते आगे जाओगे तो कोई सच्चा इंसान मिल आएगा। सरल किसे कहते हैं? कि 'यह गाड़ी यहाँ से अहमदाबाद जा रही है' तो वह बैठ जाता है। उसे सरल कहते हैं लेकिन यदि वह कहने लगे कि 'उसका क्या प्रमाण है ? चलो कहीं ओर पूछताछ करें तो?' उससे पहले तो गाड़ी चली जाती है। गाड़ी चली जाएगी या नहीं चली जाएगी? ऐसी तो कितनी ही गाड़ियाँ जा चुकी हैं और भाई वहीं के वहीं! सरल अर्थात् क्या? खेत से भिंडी लाए और तुरंत छोंक दी, तो दस ही मिनट में पक जाती है। और असरल यानी क्या? कि फ्रिज में रखी हई भिंडी। भिंडी दो दिन तक फ्रिज में रखें तो क्या होगा? फिर वह भिंडी असरल कहलाएगी। यानी भगवान ने क्या कहा? सरल का काम होगा। सरल का मोक्ष है। असरल का वहाँ पर काम नहीं है। प्रश्नकर्ता : इससे तो ऐसा लगता है कि चाहे किसी भी जगह पर जाएँ वहाँ पर सबकुछ होता है, लेकिन सरलता का अभाव रहता है। दादाश्री : है ही नहीं सरलता! बस इतनी चीज़ कहीं भी नहीं दिखाई देती, सहज क्षमा। आप उसे कुछ कहकर आ जाओ तो वह नोंध (अत्यंत राग अथवा द्वेष सहित लंबे समय तक याद रखना, नोट करना) रखे बगैर नहीं रहता। वह नोंध करके रखता है, छः महीने तक नहीं भूलता। नोंध नहीं रखना, उसी को सहज क्षमा कहते हैं। फिर और क्या होता है ? कठोरता होती है। हर एक प्रकार की कठोरता होती है। फिर, आग्रह सभी प्रकार के होते हैं। और फिर उसमें सरलता नहीं होती, यानी कि आप मोड़ने जाओ तो वह मुड़ेगा नहीं। नम्रता तो होती ही नहीं है, लेकिन सरलता भी नहीं होती। 'टॉप' की सरलता चाहिए। फिर 'टॉप' की नम्रता चाहिए। नम्र अर्थात् क्या? कि सामने वाला एक हाथ झुके, उससे पहले वह पूरा ही झुक जाए। कोई अकड़े तो उसके सामने भी वह झुक जाए। वर्ना, मनुष्य का स्वभाव कैसा है? सामने वाला अकड़े,
SR No.034040
Book TitleAptvani 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages542
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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