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________________ [६] लघुतम : गुरुतम ३६५ लोग कहते हैं कि 'दादा' की क्या खुमारी है! अब खुमारी तो अज्ञानता में रहती है लेकिन यह भी एक खुमारी है न! कि जो खुमारी बदलती ही नहीं कभी भी, एक सेकन्ड भी नहीं बदलती। वैसे के वैसे, जब देखो तब वैसे के वैसे ही! सारे संयोग बदलते हैं, लेकिन 'दादा' नहीं बदलते न! और आपको भी अंत में इनके जैसा ही बनना है। आपका ध्येय यही होना चाहिए। तो यह मैंने ‘लाइन ऑफ डिमार्केशन' डाल दी है। अब आप लघुतम की खुमारी में रहो। अब व्यापार करते हो, तो वह तो 'व्यवस्थित' के ताबे में है। आपको तो सिर्फ इनसे कहना है, चंदूभाई से कहना है कि, 'भाई, काम करते रहो। चाय पीनी हो तो चाय पीओ, लेकिन काम करो।' इतना ही कहना है। यानी आपको तो लघुतम की खुमारी रहनी चाहिए। गुरुतम की खुमारी तो सभी लोगों ने रखी है लेकिन हमें तो किसकी खुमारी रहनी चाहिए? प्रश्नकर्ता : लघुतम की। दादाश्री : हाँ, बैंक में रुपये हैं उसकी खुमारी नहीं रखनी है। लघुतम की खुमारी रखनी है। आपको रास आएगी यह बात? प्रश्नकर्ता : हाँ, आएगी। दादाश्री : और इस विज्ञान में तो बेटे-बेटियों की शादी करवाई जा सकती है। पगड़ियाँ पहनकर शादी करवाई जा सकती है। कुछ भी बाधक नहीं है क्योंकि वह सब 'रिलेटिव' है और आप लघुतम पद पर बैठने के बाद भले ही दो पगड़ियाँ पहनी हों, मुझे कोई हर्ज नहीं है, क्योंकि आपकी खुमारी किसमें है ? लघुतम पद में! जिसे गुरुतम पद की खुमारी हो उसे परेशानी है लेकिन लघुतम पद की खुमारी तो रहेगी ही 'स्व'-भाव प्राप्त करना वही गुरुतम 'खुद' लघुतम बन जाए तो आत्मा गुरुतम है। यानी आत्मा को
SR No.034040
Book TitleAptvani 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages542
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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