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________________ [५] मान : गर्व : गारवता २८५ ये लोग तो बहत पक्के लोग हैं। यहाँ तक घमंड और इससे अधिक करे तो घेमराजी। तीव्रता में बदलाव होते ही तुरंत अलग नाम दे देते हैं। ये तो बहुत पक्के लोग हैं। घेमराजी यानी यहाँ से तीन मील दूर तक भी न जा पाए, ऐसा शरीर हो, और फिर कहेगा 'पूरी दुनिया घूम आऊँ।' लोग घेमराजी रखकर घूमते रहते हैं बेकार ही। 'दिमाग़ में घेमराजी रखकर घूमता रहता है, बस इतना ही है।' कहते हैं न? यानी वह घेमराजी रखता है। फिर लोग भी कहते हैं, इज़्ज़त उतार देते हैं कि 'बिना बात की घेमराजी रखता है, देखो तो सही!' लोग छोड़ेंगे क्या? कोई घमंड रखे, तो उसे छोड़ते नहीं हैं। घेमराजी रखे तो छोड़ते नहीं है। जो ऐसा सब रखता है, उसे छोड़ते नहीं हैं, कह देते हैं। कहेंगे, 'घमंड रखता है यह।' 'अभिमान करता है, मानी है।' सबकुछ कह देते हैं लोग तो। घेमराजी यानी क्या? 'हट, हट, हट। तू जा घर, हट हट ।' सभी को 'हट, हट' करते रहते हैं। अरे, सीधा रह न ! मुझे बैठने तो दे लेकिन तब कहता है, 'हट, हट।' यानी वह दूसरे लोगों को कुछ समझता ही नहीं, उसे सभी जानवर जैसे लगते हैं। इंसान भी जानवर जैसे लगते हैं। बोलो अब, यह घेमराजी! यह कौन सी भाषा का शब्द लगता है आपको? पर्शियन भाषा का शब्द है ? प्रश्नकर्ता : यह देशी शैली में, चरोतरिया भाषा का है। दादाश्री : हाँ, चरोतरी भाषा! कहेंगे, घेमराजी बहुत है। पास में कुछ है नहीं और घेमराजी बहुत है। घेमराजी शब्द भी अपनी गुजराती में है न! अब यह शब्द कहाँ से उत्पन्न हुआ, उसका 'रूट कॉज़,' मैंने ढूँढा लेकिन मिला ही नहीं कुछ! अभिमान वगैरह सब का 'रूट कॉज़' मिलता है। प्रश्नकर्ता : यानी कि शब्द जितने सीधे दिखाई देते हैं उतने होते नहीं हैं, अंदर बहुत रहस्य होता है। दादाश्री : हाँ, निरे अर्थ से ही भरे हुए हैं ये शब्द सारे। उसका
SR No.034040
Book TitleAptvani 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages542
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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