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________________ [४] ममता : लालच कीचड़ से दूर ही अच्छे इस संसाररूपी घर में तो सभी मेहमान की तरह आए हुए हैं। जितने दिन रहे उतने दिन मेहमान, फिर चले जाएँगे। जाते हुए नहीं दिखते? ममता वाले और बिना ममता वाले, सभी चले जाते हैं न? इसलिए एक मिनट भी मत बिगाड़ना। पाँच-पचास सालों तक रहना है, वहाँ हम एक मिनट भी क्यों बिगाड़े? दाग़ पड़ जाएगा। कपड़ा यहीं रह जाएगा और दाग़ हमें लगेगा और वह दाग़ हमारे साथ आएगा। तो हम दोग़ क्यों पड़ने दें? अब, दाग़ कहीं सभी जगह नहीं पड़ जाते। सिर्फ जहाँ पर कीचड़ हो, वहीं पर हमें सँभलकर चलना है। धूल उड़े तो उसकी हम बहुत फिक्र नहीं रखते। धूल तो अपने आप ही झड़ जाएगी, लेकिन कीचड़ तो चिपक जाता है। धूल तो, यों कपड़ों को झाड़ने से उड़ जाएगी लेकिन कीचड़ तो नहीं जाएगा और दाग़ पड़ जाएगा। इसलिए जहाँ पर भी कीचड़ जैसा है, वहाँ से दूर रहना है। निरपेक्ष जीवन देखे ज्ञानी के संपूर्ण शुद्धता इस दुनिया में शायद ही कभी होती है, क्योंकि सभी अज्ञानियों के जीवन तो सापेक्ष होते हैं और क्रमिक मार्ग के सभी ज्ञानियों के जीवन भी सापेक्ष होते हैं। भगवान ने सिर्फ 'हमें' ही अपवाद रखा है कि निरपेक्ष जीवन! हाँ, किसी प्रकार की अपेक्षा नहीं, ऐसा जीवन! वहाँ पर संपूर्ण शुद्धता होती है। किसी भी प्रकार का दाग़ नहीं होता वहाँ पर।
SR No.034040
Book TitleAptvani 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages542
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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