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________________ [३] कॉमनसेन्स : वेल्डिंग ताले खुल जाएँ, ऐसी चाबी चाहिए। चाबी के झुमके रखने से नहीं चलेगा ! १९१ अतः यह जो कॉमनसेन्स है, वह व्यवहार शुद्ध रखने के लिए है । और शुद्ध निश्चय कब रहेगा ? शुद्ध व्यवहार होगा, तब । और शुद्ध व्यवहार कब आएगा? कॉमनसेन्स 'एवरीव्हेर एप्लिकेबल' होगा, तब । संसार में सीखो इतना ही अभी तक एक भी व्यक्ति हमारे साथ डिसएडजस्ट नहीं हुआ है। जबकि इन लोगों के साथ घर के चार लोग भी एडजस्ट नहीं हो पाते। हमारा देखकर भी आपको एडजस्ट होना आएगा या नहीं आएगा ? ऐसा हो सकता है या नहीं हो सकता ? आप जैसा देखो, वैसा तो आपको आएगा न? इस जगत् का नियम क्या है ? जैसा आप देखोगे उतना तो आएगा ही । उसमें कुछ सीखने को नहीं रहता। कौन सी चीज़ नहीं आती? कि यदि आपको कोई उपदेश ही देता रहे, तो वह नहीं आता लेकिन अगर आप मेरा व्यवहार देखोगे तो आसानी से सीख जाओगे । संसार में भले ही और कुछ भी नहीं आए, लेकिन 'एडजस्ट' होना आना चाहिए। दूसरा कुछ भले ही नहीं आए, कोई हर्ज नहीं। व्यापार करना कम आता हो, तब भी हर्ज नहीं लेकिन 'एडजस्ट' होना आना चाहिए। यानी वस्तुस्थिति में 'एडजस्ट' होना सीखना चाहिए । इस काल में 'एडजस्ट' होना नहीं आए तो मारा जाएगा। शिकायत ? नहीं, एडजस्ट ऐसा है न, घर में भी एडजस्ट होना आना चाहिए। आप सत्संग से घर पर देर से पहुँचो तो घर वाले क्या कहेंगे? कि 'ज़रा टाइम पर आना चाहिए न?' तब आप जल्दी घर जाओ तो क्या बुरा है ? बैल भी जब नहीं चलता, तब उसे अंकुश से मारते हैं । इसके बजाय अगर वह चलता रहे तो वह अंकुश नहीं चुभोएगा न! वर्ना तो वह अंकुश चुभोएगा, और उसे चलना पड़ेगा । चलना तो है ही न ? आपने देखा है ऐसा ?
SR No.034040
Book TitleAptvani 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages542
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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