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________________ आप्तवाणी-९ काली रंग की दाग़ वाली स्त्री लानी चाहिए ताकि उसका कोई ग्राहक ही न हो कोई, और उसे संभाले ही नहीं। और वही आपसे कहे कि, 'मुझे संभालनेवाला और कोई नहीं है। ये एक पति मिले हैं, वही संभालते हैं।' तब वह आपके प्रति 'सिन्सियर' रहेगी, बहत 'सिन्सियर' रहेगी। वर्ना, सुंदर होगी तो उसे तो लोग भोगेंगे ही। सुंदर होगी तो लोगों की दृष्टि बिगड़ेगी ही! कोई सुंदर पत्नी लाए तो मुझे यही विचार आता है कि 'इसकी क्या दशा होगी!' काली दाग़ वाली हो, तभी 'सेफसाइड' रहती है। पत्नी बहुत सुंदर हो, तब पति भगवान को भूल जाएगा न! और पति बहुत सुंदर हो तो पत्नी भी भगवान को भूल जाएगी! इसलिए सबकुछ संतुलित हो तो अच्छा है। अपने बड़े बूढ़े तो ऐसा कहते थे कि 'खेत राखवू चोपाट और बैरुं राखवू कोबाड' ('खेत रखना समतल और पत्नी रखना बदसूरत') ऐसा किसलिए कहते थे? कि यदि पत्नी बहुत सुंदर होगी तो कोई नज़र बिगाड़ेगा। इसके बजाय तो पत्नी ज़रा सी बदसूरत ही अच्छी, ताकि कोई नज़र तो नहीं बिगाड़ेगा न! ये बूढ़े लोग अलग तरह से कहते थे, वे धर्म की दृष्टि से नहीं कहते थे। मैं धर्म की दृष्टि से कहना चाहता हूँ। बहू बदसूरत होगी, तो हमें कोई भय ही नहीं रहेगा न! घर से बाहर जाए फिर भी कोई नज़र बिगाड़ेगा ही नहीं न! अपने बड़े-बूढ़े तो बहुत पक्के थे लेकिन मैं जो कहना चाहता हूँ वह ऐसा नहीं है, वह अलग है। वह बदसूरत होगी न, तो आपके मन को बहुत परेशान नहीं करेगी, भूत बनकर चिपटेगी नहीं। कैसी दगाखोरी यह ये लोग तो कैसे हैं ? कि जहाँ 'होटल' देखें वहाँ 'खा' लेते हैं। इसलिए यह जगत् शंका रखने योग्य नहीं है। शंका ही दु:खदाई है। अब जहाँ होटल देखे, वहीं पर खा लेते हैं, इसमें पुरुष भी ऐसा करते हैं और स्त्रियाँ भी ऐसा करती हैं। फिर उस पुरुष को ऐसा नहीं होता कि 'मेरी स्त्री क्या करती होगी?' वह तो ऐसा ही समझता है कि 'मेरी स्त्री तो अच्छी है।' लेकिन उसकी स्त्री तो उसे पाठ पढ़ाती है! पुरुष भी स्त्रियों
SR No.034040
Book TitleAptvani 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages542
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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