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________________ [१] आड़ाई : रूठना : त्रागा ___५१ लोग हमें आगे नहीं बढ़ने देते। त्रागा करना अर्थात् बहुत बड़ा दबाव डालना। ___मैं तो एक व्यक्ति के वहाँ बैठा था। वहाँ दूसरा एक व्यक्ति आया, तो इस पर दबाव डालने के लिए क्या करना शुरू किया? ज़मीन पर सिर टकराया इस तरह से। मैंने कहा, 'क्यों भाई, क्या है, क्या है?' तब यह व्यक्ति मुझसे कहने लगा, 'देखो न, यह ऐसा कर रहा है। मुझे डरा देता है।' नाजुक प्रकृति हो न, तो डर जाती है। हस्ताक्षर नहीं कर रहा हो और सामनेवाला त्रागा करे तो डर जाता है, और हस्ताक्षर कर देता है। कहेगा, 'ला, चल तो फिर हस्ताक्षर कर देता हूँ।' यानी त्रागा करनेवाला ऐसे दीवार के साथ भी सिर टकराता है। ___ अब पुरुषों में कौन सा खराब गुण है ? त्रागा का। जो पुरुष त्रागा करे न, उस व्यक्ति के साथ संबंध मत रखना। स्त्रियाँ तो त्रागा करती हैं, लेकिन कुछ पुरुष भी त्रागा करते हैं। प्रश्नकर्ता : पुरुष में त्रागे को खराब गुण कहा गया है। अगर ऐसा हो तो वहाँ पर खड़ा भी नहीं रहना चाहिए? दादाश्री : खड़ा नहीं रहना चाहिए। वह हमें भी डरा देगा। आप भी डर जाओगे। प्रश्नकर्ता : ऐसे त्रागे वाला पुरुष हो तो वहाँ से दूर कैसे हों? दादाश्री : त्रागे वाली स्त्री से कैसे दूर हों, वह मुझे मालूम है। त्रागे वाले पुरुष से छूटने का तरीका मुझे मालूम नहीं है। स्त्री त्रागा करे तो मैं उसे कुदाता रहूँगा, पूरी रात कुदाता रहूँगा लेकिन पुरुषों के त्रागे के सामने तो मैं भी चौंक जाता हूँ। त्रागा यानी किसी की भी इच्छा नहीं हो और उस वस्तु को भोग लेना हो तो उधम मचा देता है। मैं आत्महत्या कर रहा हूँ, और मैं ऐसा कर रहा हूँ और वैसा कर रहा हूँ' इस तरह डरा-धमकाकर भी भोग लेता है। किसी भी प्रकार का त्रागा करता है वह, डरा देता है। ऐसे भी पुरुष होते हैं।
SR No.034040
Book TitleAptvani 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year2018
Total Pages542
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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