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________________ मानसिक एकाग्रता श्वास-प्रक्षा मानसिक, एकाग्रता का बहुत महत्वपूर्ण आलंबन है! उससे रक्त को बल मिलता है, शक्ति के केन्द्र जागत होते हैं, तैजस शक्ति जागृत होती है, सुषुम्ना और नाडी-संस्थान प्रभावित होते हैं। हमारे क्रियात्मक और व्यवसायिक क्षेत्र में मानसिक एकाग्रता बहुत मूल्यवान है। किसी भी कार्य-क्षमता का आधार मानसिक एकाग्रता है। डॉक्टर, वकील, प्रोफसर, कर्मचारी हो या किसी बड़े संस्थान का प्रबंध निदेशक (मैनेजिंग डाइरेक्टर) हो या सामान्य गृह-कार्य में रत गृहिणी हो-सबको अपने-अपने कार्य करने में मानसिक एकाग्रता अत्यन्त अपेक्षित है। किसी भी कार्य में जब तक चित्त एकाग्र या तन्मय नहीं होगा, तब तक उत्पादन-क्षमता (Operation efficiency) का स्तर अत्यन्त निम्न होगा-क्षमता २० प्रतिशत और शक्ति का अनावश्यक व्यय ८० प्रतिशत होगा। किन्तु जब किसी भी कार्य में चित्त की तन्मयता होगी तब क्षमता ८० प्रतिशत व अनावश्यक व्यय २० प्रतिशत हो जाएगा अर्थात् ठीक पहले के विपरीत। श्वास-प्रेक्षा का प्रयोग चित्त की एकाग्रता को-तन्मयता को बढ़ाने का सरल किन्तु सक्षम उपाय है। जैसे प्रत्येक श्वास केवल वर्तमान की क्रिया है--न अतीत की स्मृति, न भविष्य की कल्पना है और साधक उसी को देखने में तन्मय हो जाता है, वैसे ही व्यवसायिक क्षेत्र में भी दूसरे अनेक कार्यों को छोड़कर केवल वर्तमान के काम पर पूरा ध्यान देना और वैसा करने की आदत डालना, यह मानसिक एकाग्रता का प्रशिक्षण है। औद्योगिक, वाणिज्यिक और व्यापारिक क्षेत्र के बड़े संस्थान अपने वरिष्ठ प्रबन्धकों की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए उनके प्रशिक्षण में प्रतिवर्ष लाखों रुपए खर्च करते हैं। प्रशिक्षण देने वाले संस्थान बहुधा सेमीनार के रूप में यह कार्यक्रम चलाते हैं। किन्तु वस्तुतः कार्यक्षमता का विकास करने का मूल है मानसिक एकाग्रता का प्रयोग और उसे प्राप्त करने का साधन है श्वास-प्रेक्षा। जागरूकता 2. श्वास-प्रेक्षा जागरूकता का अचूक उपाय है। इसमें हम भीतर जाने वाले और बाहर निकलने वाले श्वास को देखते हैं। दरवाजे पर खड़ा प्रहरी (चित्त) यदि जागरूक न हो, तो कोई भी भीतर जा सकता है, कोई Scanned by CamScanner
SR No.034030
Book TitlePreksha Dhyan Siddhant Aur Prayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragya Acharya
PublisherJain Vishvabharati Vidyalay
Publication Year2003
Total Pages207
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size80 MB
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