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________________ अजमेर विश्वविद्यालय के स्नातक पाठ्यक्रम में जीवन विज्ञान और जैन विद्या का समावेश किए जाने पर अजमेर विश्वविद्यालय के उपकलपति श्री उपाध्याय ने 'चार्य श्री तुलसी और युवाचार्यश्री महाप्रज्ञ के सान्निध्य में एक संगोष्ठी का समायोजन विद्या भूमि राणावास में किया। चर्चा के पश्चात् एक सुझाव आया कि ६ प्रश्नपत्र प्रस्तुत विषय में हैं। प्रत्येक प्रश्नपत्र में इतनी सन्दर्भ पुस्तकें सुझाई गई हैं जिनको एक साथ पढ़ना विद्यार्थी के लिए कष्ट साध्य होगा इसलिए हर प्रश्नपत्र में पाठ्यक्रमानुसार सर्व सामग्री एक जगह संकलित कर दी जाए तो विद्यार्थी को अध्यापन में सुविधा हो जाएगी। इस सुझाव के संदर्भ में प्रत्येक प्रश्नपत्र के लिए निदेशक के साथ समाकलन मण्डल का चयन किया गया। "प्रेक्षाध्यान : सिद्धांत और प्रयोग” में प्रश्नपत्र में उल्लिखित विषयों के अनुरूप सामग्री का अध्ययन कर समाकलन प्रस्तुत किया गया है। जिन पुस्तकों के आधार पर समाकलन किया गया है वह अधिकतर जीवन विज्ञान ग्रन्थ माला प्रेक्षाध्यान का ही साहित्य है। तदर्थ हम परम श्रद्धेय आचार्य श्री तुलसी एवं श्रद्धेय युवाचार्य श्री महाप्रज्ञ के प्रति श्रद्धानत हैं। साथ ही प्रेक्षा-प्राध्यापक मुनिश्री महेन्द्र कुमार एवं प्रेक्षा-प्रवक्ता श्री जेठालाल एस. झवेरी के आभारी हैं। समाकलन के बाद हमने पुस्तक का आद्योपांत वाचन करके इसमें जो कमी थी उसे पूरा किया है और जो अनावश्यक पुनरावृत्तियां थीं उन्हें हटा दिया है। इस कार्य में जिनके कीमती सुझाव और परामर्श मिला वे हैं-डॉ. दयानन्द भार्गव (अध्यक्ष, संस्कृत-विभाग, जोधपुर वि. वि.). डॉ. गोपालकृष्ण भारद्वाज, डॉ. भंवरलाल जोशी। श्री मांगीलाल जैन (निदेशक, जीवन-विज्ञान अकादमी, जै. वि. भा.) का सहयोग रहा। हम इन सबके प्रति आभार व्यक्त करते हैं। धर्मेश मुनि तथा श्री हनुमान चिण्डालिया, श्री कमल सिंह, मानमल पटावरी पाली ने समय-समय पर व्यवस्थाओं में र सहयोग कर पुस्तक को समय पर तैयार करने में मदद की उसके लिए हम इनके सहयोग को भी मूल्यवान् मानते हैं। आशा है पुस्तक छात्रों के लिए उपयोगी साबित होगी। पुस्तक में अगर कोई कमी रही हो तो कृपया अपने र सुझावों से हमें अवगत करें ताकि आगामी संस्करण में परिस्कार किया जा सके। । -मुनि किशनलाल -शुभकरण सुराणा Scanned by CamScanner
SR No.034030
Book TitlePreksha Dhyan Siddhant Aur Prayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragya Acharya
PublisherJain Vishvabharati Vidyalay
Publication Year2003
Total Pages207
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size80 MB
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