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________________ :६: लेश्या-ध्यान वैज्ञानिक आधार विश्व-विज्ञान और रंग प्रकाश तरंग” के रूप में होता है और प्रकाश का रंग उसके तरंग-दैर्ध्य (wave-length) पर आधारित है। तरंग-दैर्ध्य और कम्पन की आवृत्ति (frequency) परस्पर में व्यक्त प्रमाण (inverse proportion) से संबंधित है। अर्थात् तरंग-दैर्ध्य के बढ़ने के साथ कम्पन की आवृत्ति कम होती है और उसके घटने के साथ बढ़ती है। सूर्य का प्रकाश त्रिपार्श्व कांच (prism) में गुजरने पर प्रकाश-विक्षेपण के कारण सात रंगों में विभक्त होता दिखाई देता है। उस रंग-पंक्ति को वर्णपट (spectrum) कहते हैं। उनमें से लाल रंग का तरंग-दैर्ध्य सबसे अधिक और बैंगनी (violet) रंग का तरंग-दैर्ध्य सबसे कम होता है। दूसरे शब्दों में लाल प्रकाश की कम्पन-आवृत्ति सबसे कम और बैंगनी प्रकाश की सबसे अधिक होती है। दृश्य प्रकाश में जो विभिन्न रंग दृष्टिगोचर होते हैं, वे विभिन्न प्रकम्पनों की आवृत्ति या तरंग-दैर्ध्य के आधार पर होते हैं : रंग तरंग दैर्ध्य कम्पन-आवृत्ति (1A° = १०००००० ) सें.मी. (प्रति सैकिण्ड) लाल ७४००-६२०० A° ४०००-५००० खरब ६२००-५८५० A° ५०००-५४०० खरब पीला ५८५०-५७५० A° ५४००-५५०० खरब हरा ५७५०-५००० A" ५५००-६००० खरब नीला ५०००-४४५० A" ६०००-६६०० खरब जामुनी ४४५०----४३५० A" ६६००-६७५० खरब बैंगनी ४३५० --३६०० A" ६७५०-७६०० खरब नारंगी Scanned by CamScanner
SR No.034030
Book TitlePreksha Dhyan Siddhant Aur Prayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragya Acharya
PublisherJain Vishvabharati Vidyalay
Publication Year2003
Total Pages207
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size80 MB
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