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________________ प्रेक्षाध्या सिद्धान्त और प्रयोग शाति केन्द्र - हाइपोथेलेमस पिनीयल - ज्योति केन्द्र पिच्यूटरी ALE IALAM दर्शन केन्द्र चाक्षुष केन्द्र अप्रमाद केन्द्र - प्राण केन्द्र & ब्रह्म केन्द्र TER - विशुद्धि केन्द्र पेराथाइराइड थाइराइड में शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक सभी प्रवृत्तियों पर विवेक-चेतना का पूर्ण नियन्त्रण स्थापित किया जाए। अन्तःस्रावी ग्रन्थि-तंत्र का संतुलन वृत्तियों के आवेगात्मक बलों के उद्दीपन या शमन करने की मूलभूत चाबी है-अन्तःस्रावी ग्रंथियां। इसलिए ये ही चैतन्य-केन्द्रों के संवादी केन्द्र हैं। अन्तःस्रावी तन्त्र का असन्तुलन मस्तिष्क को प्रभावित करता है और चिन्तन-धारा को दूषित या विकृत बनाता है। उदाहरणतः गोनाड्स की अधिक सक्रियता मन को विषय-वासना या भय के चिन्तन में लगाए रखेगी। चैतन्य-केन्द्र-प्रेक्षा का अभ्यास अन्तःस्रावी तन्त्र के सन्तुलन का पुनः स्थापित कर व्यक्ति के विवेक-चेतना के विकास द्वारा चेतन मन की Scanned by CamScanner
SR No.034030
Book TitlePreksha Dhyan Siddhant Aur Prayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragya Acharya
PublisherJain Vishvabharati Vidyalay
Publication Year2003
Total Pages207
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size80 MB
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