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________________ अहिंसा दर्शन सोचने की बात यह है कि अहिंसा का आश्रय उन्होंने लिया ही क्यों? क्या इसलिए कि अंग्रेजों के विरुद्ध हिंसा का आश्रय लेकर वे भारत को स्वाधीन नहीं कर सकते थे? अथवा इसलिए कि मानव-समाज को वे यह शिक्षा देना चाहते थे कि मनुष्य जब तक हिंसक साधनों का प्रयोग करने को उद्यत है, तब तक वह पूरा मनुष्य कहलाने का अधिकारी नहीं हो सकता। पहला विकल्प, अहिंसा को किंकर्तव्यविमूढ़ एवं निरुपाय व्यक्ति का साधन बताता है, जिसका स्पष्ट सन्देश है कि हमारे पास तोपों की संख्या इतनी नहीं है, अतः सत्याग्रह ही सही है। जबकि दूसरा विकल्प, अहिंसा को मनुष्यता के विकास का साधन सिद्ध करता है, उसकी अन्तरात्मा को निर्मल बनाने का उपाय सिद्ध करता है। पहली बात को गाँधीजी स्वयं नहीं मानते थे। वे अहिंसा को गँवाकर भारत को स्वाधीन करने के पक्षपाती नहीं थे। भारत की स्वाधीनता बहुत बड़ा लक्ष्य था किन्तु उससे भी बड़ा ध्येय मानवीय स्वभाव में परिवर्तन लाना था। मनुष्य को यह विश्वास दिलाना था कि जिन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए मनुष्य हिंसक साधनों का सहारा लेता है, वे मानवोचित साधनों से भी प्राप्त किए जा सकते हैं। ___ गाँधीजी का मुख्य उद्देश्य सिर्फ देशवासियों के कष्टों का निवारण करना नहीं था बल्कि मनुष्यों की पशुतुल्य प्रवृत्तियों का अवरोध भी था। घणा, क्रोध, आवेग आदि के वशीभूत होकर विवेकशून्य होकर पशु अपने प्रतिपक्षियों का सामना उन शस्त्रों से करते हैं, जो प्रकृति की ओर से उन्हें मिले हुए हैं लेकिन मनुष्य, बुद्धि विवेक आदि अनेक अर्थों में पशु से श्रेष्ठ है; अतएव उचित है कि मनुष्य अपने आवेगों पर नियन्त्रण लगाए और अपने दैनिक जीवन की समस्याओं को सुलझाने में उन उपायों को काम में ले, जो पशुओं को दुर्लभ और मनुष्यों को सुलभ हैं।
SR No.034026
Book TitleAhimsa Darshan Ek Anuchintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnekant Jain
PublisherLal Bahaddur Shastri Rashtriya Sanskrit Vidyapitham
Publication Year2012
Total Pages184
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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