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________________ 156 अहिंसा दर्शन केशर कुंकुम से सुरभित कश्मीर की कमनीय केशर क्यारियों की श्यामल हरितमा आज अपने ही स्वजन के रक्ताश्रुओं के महासागर में विलीन हो चुकी है। काम रूप की कामाख्या अपने ही दिग्भ्रान्त मातृहन्ताओं की काली करतूतों पर मातम मना रही है। पूरे विश्व को अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले 'बापू' का गुजरात इसी हिंसा से झुलस चुका है, सड़कें शोले बिछा रही हैं और डगरों पर डाकू दस्तक दे रहे हैं। हर रास्ते पर रहजन खड़े हैं तथा हॉटचॉट पर बटमार बैठे हैं। फिर शान्ति मिले तो कहाँ और किधर? यह आतंकवाद अमेरिका जैसे शक्तिशाली देशों के लिए भी गले की हड्डी बन गया। नेपाल भी इसकी चपेट में घिरकर राख हो रहा है। भारतीय संसद पर हमला इसका अतिवाद है। क्या कारण है इस आतंकवाद का? जरा गहराई से विचार करें। आतंकवाद का अर्थ आतंकवाद प्रायः सीमित दायरे में परिभाषत किया जाता है। आतंकवाद संज्ञा तो नयी है, किन्तु इसे यदि हम विस्तृत पटल पर परिभाषित करें तो पायेंगे कि प्राचीन काल से ही जब से हमारा इतिहास मिलता है आतंकवाद किसी न किसी रूप में हमारे आस-पास मौजूद रहा है। जनमानस को सदैव किसी न किसी दबाव ने, आतंक ने कुण्ठित किया है। पौराणिक आख्यानों में देवताओं और असुरों के संघर्ष भरे पड़े हैं। ऋषि-मुनियों के यज्ञों में, तपस्या में तथा जन सामान्य शान्ति में विघ्न डालने वाले राक्षसों की कथा हमने बुजुर्गों के मुख से बहुत सुनी व किताबों में पढ़ी है। वस्तुतः आतंकवाद तब से ही मौजूद है जब से इस मनुष्य जाति का उद्भव हुआ। आज के परिप्रेक्ष्य में आतंकवाद का अभिप्राय सशस्त्र और गुरिल्ला गतिविधि का पर्याय माना जाता है। देशभक्त शहीद चन्द्रशेखर आजाद और भगतसिंह यदि हमारे लिए स्वतंत्रता आन्दोलन के क्रान्तिकारी के रूप में पूजने योग्य राष्ट्रभक्त माने जाते हैं तो अंग्रेजों के लिए वे निहायत खूखार और
SR No.034026
Book TitleAhimsa Darshan Ek Anuchintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnekant Jain
PublisherLal Bahaddur Shastri Rashtriya Sanskrit Vidyapitham
Publication Year2012
Total Pages184
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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