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________________ दशम अध्याय 141 जन्मदाता स्वाभाविक जीवनी शक्ति को नेचुरल इम्यून सिस्टम कहते हैं। आधुनिक आयुर्विज्ञान शरीर को रोगमुक्त एवं स्वस्थ्य रखने वाली शक्ति को प्राकृतिक इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इम्यून या बायो इलेक्ट्रो मैग्नेटिक वायटल फोर्स भी कहा है। इसी शक्ति के द्वारा दिल धड़कता है, दिमाग कम्प्यूटर से भी अधिक तेज तथा संवेदनशीलता के साथ कार्य करता है। फेफड़े क्रियाशील बने रहते हैं। खून रग-रग में दौड़ता है। सांसों की थिरकन, नाड़ी का स्पन्दन, स्नायुओं की संचार व्यवस्था, यकृत, आंत, प्लीहा, गुर्दे, अन्तःस्रावी ग्रंथियां आदि अनेक कार्यों का सुसंचालन, नियमन तथा नियंत्रण इसी जीवनीशक्ति पर निर्भर करता है। जब यह शक्ति समाप्त हो जाती है तो जीवन-ज्योति बुझ जाती है। स्वास्थ्य की दृष्टि से जीवनी शक्ति की हेतुभूत पर्याप्तियों और प्राणों के साथ मन का भी बहुत महत्त्व है। मन के द्वारा ही भावों का विशुद्धिकरण हो सकता है और मन की शुद्धि के लिए आहार की शुद्धि आवश्यक है। मन स्वस्थ तो शरीर स्वस्थ और मन की निर्मलता का आधार है शाकाहार। अत: हमें दृढ़तापूर्वक विशुद्ध शाकाहार को ही अपनी जीवनशैली का मुख्य अंग बना लेना चाहिए। शाकाहार और आधुनिकता तामसिकता विनाश का कारण है। इससे पर्यावरण शुद्धि और राष्ट्र के विकास और कल्याण की भावना विलुप्त हो जाती है। ऐसा लगने लगा है कि हम पहले से भी कहीं अधिक उग्र और दृष्टिहीनता के युग में जी रहे हैं। मांसाहार के समर्थकों में बहुतों का कथन यह भी है कि वर्तमान युग की जटिलताओं में जीने वाला व्यक्ति सात्विक रह ही नहीं सकता। यदि वह कलयुग में उच्च समाज में रहना चाहता है तो फैशन के रूप में तो मांसाहार को अपनाना ही होगा। ऐसे ही कुछ विचार भ्रमित व्यक्तियों के मस्तिष्क में उत्पन्न होकर समाज में संक्रांत भाव पैदा करते हैं। सामाजिक स्तर पर यह धारणाएं पुष्ट होती हैं और हर व्यक्ति का विश्वास दृढ़ हो जाता है कि स्तरीय
SR No.034026
Book TitleAhimsa Darshan Ek Anuchintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnekant Jain
PublisherLal Bahaddur Shastri Rashtriya Sanskrit Vidyapitham
Publication Year2012
Total Pages184
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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