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________________ पसन्द आया और तय हुआ कि ये दो भाई स्वयं आपस में तीन युद्ध करें-(1) मल्ल युद्ध (2) दृष्टि युद्ध तथा (3) जल युद्ध। हार-जीत का फैसला यहीं हो जायेगा। बाहुबली युद्ध जीत गये, किन्तु विचार किया कि इस नश्वर संसार के लिए सगे भाई से युद्ध करना पड़ा! हृदय परिवर्तित हुआ। जीतकर भी राज्य का त्याग कर दिया, उसे भरत को दे दिया और स्वयं संयम और तप के मार्ग पर निकल पड़े। युद्ध में अहिंसा के प्रयोग की यह प्रथम घटना है जब नरसंहार उचित नहीं समझा गया। ऐसे और भी उदाहरण हैं। अन्यथा अहिंसा को धर्मक्षेत्र तक ही सीमित रखा जाता था। वह मात्र मोक्ष का साधन मान लिया गया था। राष्ट्र या समाज व्यवस्था में भी उसका उपयोग सार्थक है इस विषय पर चर्चा कम होती थी। आधुनिक युग में प्रयोग आधुनिक युग में गांधी जी ने राजनैतिक क्षेत्र में अहिंसा का प्रयोग किया। उन्होंने समाज से इस बड़ी भ्रांति को मिटाया कि अहिंसा मात्र धर्म या साधु-सन्यासियों के काम की चीज है। यह बात भी ठीक है कि बड़ी भ्रांन्ति को बड़े लोग ही मिटा पाते हैं। गाँधी जी के प्रयत्न से लोगों की समझ में आया कि अहिंसा एक व्यापक तत्त्व है। यह चिन्तन धर्म से आया है किन्तु इसका प्रयोग मात्र धार्मिक क्षेत्र तक सीमित नहीं है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में वह उपयोगी है तथा समस्याओं के स्थायी समाधान के लिए एक मात्र आधार है। इक्कीसवीं सदी में अन्ना हजारे जी ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध अहिंसक आन्दोलन करके अहिंसा पर आस्था को बढ़ाया जिससे नयी पीढ़ी ने भी उसकी कीमत को पहचाना है। प्राचीनकाल से लेकर वर्तमान तक का अहिंसा का यह सफर हमारे भीतर बुराई के प्रति अच्छाई से लड़ने का विश्वास पैदा करता है। ( xvi)
SR No.034026
Book TitleAhimsa Darshan Ek Anuchintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnekant Jain
PublisherLal Bahaddur Shastri Rashtriya Sanskrit Vidyapitham
Publication Year2012
Total Pages184
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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