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________________ महामुनि ने प्रश्नायित दृष्टि से देखते हुए पूछा-'वत्स! तुम कौन हो? इस निर्जन वन में कैसे आए हो? र जम्बूकुमार ने कहा-'महामुनि! मैं राजगृह का निवासी हूं। मेरा नाम जम्बूकुमार है। मैं वनभ्रमण के ODASE लिए आया था। मैंने आपको देखा तो एक चिरपालित जिज्ञासा के समाधान की भावना तीव्र बन गई।' 'तुम क्या चाहते हो?' 'महामुनि! मैं अपना पूर्वभव जानना चाहता हूं। पिछले जन्म में मैं क्या था? मैंने क्या किया था, यह मैं जानना चाहता हूं।' भो मुने! कृपया किंचिद्, ब्रूहि मे संशयच्छिदे। जन्मांतरस्य वृत्तांतं, ज्ञातुमिच्छामि त्वन्मुखात्।। आज यह विषय परामनोविज्ञान का है। परामनोविज्ञान यानी पूर्वजन्म की खोज। पूर्वजन्म की शोध आज चल रही है व्यक्ति पिछले जन्म में क्या था? जो आज मनुष्य है, वह पहले क्या था? कैसा था उसका जीवन? क्या उसके सुख और दुःख का कारण-बीज अतीत में है? एक छोटी सी लड़की अनेक बार आती है, वह कहती है-मैं पिछले जन्म में चूरू में सुराणा परिवार में जन्मी थी। चूरू के प्रसिद्ध तत्वज्ञ और श्रद्धालु श्रावक हुकुमचंदजी सुराणा के घर मेरा जन्म हुआ था। एक बहिन आई, उसने कहा मैं पिछले जन्म में एक राजपूत की लड़की थी। वहां से मरने के बाद सामने जो घर है उसी में मैंने जन्म लिया है। मेरे पूर्वजन्म के माता-पिता और वर्तमान माता-पिता आमने गाथा सामने रहते हैं। परम विजय की आज इस विषय पर बहुत काम हो रहा है। काफी काम आगे बढ़ा है। अनेक वर्ष पहले समाचार-पत्र में पढ़ा था-सोवियत संघ में वैज्ञानिकों ने इस दिशा में बहुत अनुसंधान किया, खोज काफी आगे बढ़ गई। वैज्ञानिक लक्ष्य के निकट पहुंच गए। किन्तु तत्कालीन साम्यवादी शासन में उस अन्वेषण को रोक दिया गया। उन्हें यह आशंका हो गई यदि पूर्वजन्म सिद्ध हो गया तो क्या होगा? क्या द्वंद्वात्मक भौतिकवाद का आधार ही समाप्त नहीं हो जाएगा? ___ यह अनुसंधान का एक बड़ा विषय है। आज वैज्ञानिक यांत्रिक संसाधनों और सूक्ष्म उपकरणों से इस दिशा में खोज कर रहे हैं। प्राचीन युग में खोज की ज्यादा जरूरत नहीं थी। ऐसे अतीन्द्रिय ज्ञानी मुनि विद्यमान थे, जो जातिस्मृतिज्ञान के द्रष्टा और प्रयोक्ता थे। उनके पास जो व्यक्ति जाता, वह अपनी जिज्ञासा का समाधान पा लेता। जम्बूकुमार ने मुनि से अपना पूर्वजन्म पूछा और मुनि ने उसके प्रश्न को समाहित कर दिया। ध्यानलीन महामुनि ने कहा-'जम्बूकुमार! मैं तुम्हारे चार जन्मों को अभी साक्षात् देख रहा हूं।' 'महामुनि! मैं अपने चारों जन्मों को जानना चाहता हूं। आपकी कृपा से मेरी चाह सफल बनेगी। मैं धन्य और कृतार्थ बनूंगा।'-जम्बूकुमार ने भाव भरे स्वर में कहा। 'जम्बूकुमार! चार जन्मों में तुम दो बार मनुष्य बने और दो बार देव रूप में उत्पन्न हुए।'
SR No.034025
Book TitleGatha Param Vijay Ki
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragya Acharya
PublisherJain Vishvabharati Vidyalay
Publication Year2010
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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