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________________ गाथा परम विजय की प्रभव ने कहा-'साथियो! देखो, हमारी भी यही दशा है। हम लोग चोरी करते हैं और परिवार के हजारों लोग उसको खाते हैं, पीते हैं, मौज करते हैं। किन्तु बुराई का फल केवल हमें भुगतना पड़ेगा।' ___प्रभव और जंबू ने ऐसे वातावरण का निर्माण किया कि चोरों का मन बदल गया। वातावरण का भी ऐसा असर होता है, मन बदल जाता है। प्रतिदिन सैकड़ों लोग दर्शनार्थ आते हैं। आने के बाद बहुत लोगों का मन बदल जाता है। कारण क्या है? पहली बात–सम्यक् जानकारी होती है। दूसरी बात-प्रेरणा मिलती है। तीसरी बात-पूज्य गुरुदेव के आभामंडल का प्रभाव। ऐसा एक वातावरण होता है कि आने वाले का मन बदल जाता है। न जाने कितने लोगों ने पान-पराग, जर्दा, शराब आदि नशे को छोड़ा है, कितने लोगों ने अपने मन को बदला है, आदत में परिवर्तन किया है। सचमुच व्यक्ति में बदलाव आता है। चेतना को कोई जगाने वाला हो तो आदमी जाग जाता है और कोई जगाने वाला न हो तो सोया रह जाता है। सम्यक् जानकारी के अभाव में व्यक्ति गलत रास्ता ले लेता है। जब तक ज्ञान सही नहीं होता, आचरण अच्छा हो नहीं सकता। प्रभव ने कहा-'साथियो! जम्बूकुमार ने मुझे बंध और मोक्ष का तत्त्व समझाया। सुख क्या है, दुःख क्या है? इसका बोध दिया। इनको समझे बिना कोई आदमी वैरागी नहीं बन सकता और वैरागी बने बिना कोई बुराई को नहीं छोड़ सकता।' हम यह न मानें कि दीक्षा लेने वाला ही वैरागी होता है। हर आदमी को वैरागी होना जरूरी है। कोरा राग गलत रास्ते की ओर ले जाता है। जहां राग ही राग है वहां कोई नियंत्रण नहीं रहता, कोई नियामक तत्त्व नहीं रहता। व्यक्ति फंसता चला जाता है। जहां वैराग्य की रेखा खिंच गई वहां व्यक्ति बुराई में नहीं जायेगा। वह सोचेगा यह बुरा काम है। मुझे नहीं करना है। मुझे अण्डा नहीं खाना है क्योंकि यह बुरा काम है। मुझे मांस नहीं खाना है, शराब नहीं पीना है क्योंकि यह बुरा है। आज के डॉक्टर स्वास्थ्य की दृष्टि से इनका आसेवन न करने का परामर्श देते हैं। धर्म के साथ केवल स्वास्थ्य की दृष्टि नहीं है, उसका दृष्टिकोण है इससे चेतना विकृत बनती है। जब चेतना बिगड़ जाती है तब क्या सही है, क्या झूठ है, इसका भी पता नहीं चलता। ____ पूज्य कालूगणी जब गांवों में पधारते, ग्रामीणों के बीच व्याख्यान देते तब पूज्य गुरुदेव फरमाते'भाइयो! शराब पीने से चेतना बिगड़ जाती है।' व्यक्ति शराब पीकर घर में गया। सामने पत्नी बैठी है। वह बोलता है-मां! क्या कर रही हो? सामने होती है मां और कह देता है प्रिये! क्या कर रही हो? मां को पत्नी और पत्नी को मां समझ लेता है। ____एक शराबी बहुत शराब पीकर आया। पत्नी ने देखा-जगह-जगह खून आ रहा है, खरोंचे आई हैं। अवश्य ही कहीं गड्ढे में गिरे हैं। पत्नी ने मलहम हाथ में थमाते हुए कहा-'यहां चोट लगी है, खून आ रहा है। यह मलहम लगा लो।' पत्नी मलहम देकर चली गई। वह मलहम लगा कर सो गया। सुबह उठा तो देखा कपड़े खून से सने हुए हैं। पत्नी ने पूछा-क्या आपने मलहम लगाई नहीं?' 'लगाई थी।' AL । ३५५
SR No.034025
Book TitleGatha Param Vijay Ki
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragya Acharya
PublisherJain Vishvabharati Vidyalay
Publication Year2010
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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