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________________ Mahani NDAS Horistiane rampan SAMyerviveo asha A BA 'अरे भाई! बहुत सीधी-सी बात है। सर्प को निर्विष, हाथी को मदरहित और सुभट को बलमुक्त . कौन बनाता है? मैं चित्रकार की लड़की हूं। चित्रकार सांप का चित्र बनाता है किन्तु वह निर्विष होता है, वह कभी काटता नहीं है। उसके द्वारा चित्रित हाथी पर बैठ जाओ, वह हाथी कभी गिरायेगा नहीं, कुचलेगा नहीं। वह ऐसा योद्धा का चित्र बनाता है, जिसे देखकर रोम-रोम कंपित हो जाए पर वह कुछ कर नहीं पाता।' 'स्वामी! ऐसा लगता है कि आपने हम सबको निर्विष नाग, बलरहित सुभट और मदरहित गज बना दिया है। हमें स्वयं बड़ा आश्चर्य हो रहा है कि हमारी दृष्टि कैसे बदल गई? हमारी दिशा कैसे परिवर्तित हो गई? हम आपको कितना साधुवाद दें, कितना धन्यवाद दें। सचमुच आपने अद्भुत काम किया है।' गाथा ___ दृष्टिकोण को बदल देना बहुत बड़ी बात है। सब कुछ निर्भर होता है दृष्टिकोण पर। जिसका जैसा परम विजय की दृष्टिकोण बन गया वह वैसा काम करता है। कन्याओं ने कहा-'स्वामी! आपने देखने का नजरिया बदल दिया। अब हमें संसार दूसरा ही दिखाई दे रहा है। कुछ घंटों पूर्व तक भोग के प्रति आकर्षण था, इंद्रिय विषयों के प्रति आसक्ति थी, संसार के सुख भोगने की तमन्ना थी। हम पदार्थों को एकांत रागात्मक दृष्टि से देखती थीं। अब उनके प्रति उदासीन हो गई हैं, तटस्थ बन गई हैं। विषयों का आकर्षण समाप्त हो गया है।' 'स्वामी! आपने कमाल का काम किया है इसलिए हम सब धन्यवाद का प्रस्ताव पारित करती हैं और हम सब आपको साधुवाद देती हैं।' साधुवाद और सरस संवाद का यह उपक्रम संपन्न हो, उससे पूर्व सहसा हुई आहट से सब चौंक उठे। वार्तालाप में विक्षेप आ गया। 'प्रिये! कोई आ रहा है। कौन हो सकता है?'-पदचाप की ध्वनि को सुनते ही जम्बूकुमार बोला। पदचाप की ध्वनि तीव्र हुई। ऐसा लगा, जैसे कोई व्यक्ति शयन-कक्ष की ओर बढ़ रहा है। कुछ क्षण बीते। किसी ने द्वार पर जोर से दस्तक दी। सबका ध्यान द्वार की ओर आकृष्ट हो गया। जम्बूकुमार और कन्याओं के मन में इस दस्तक ने एक साथ अनेक सवाल खड़े कर दिए। इस निशा में कौन आया है और क्यों दस्तक दे रहा है? २८४
SR No.034025
Book TitleGatha Param Vijay Ki
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragya Acharya
PublisherJain Vishvabharati Vidyalay
Publication Year2010
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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