SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 188
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 30.9a गाथा परम विजय की हर मनुष्य सोचता है, बोलता है और अपना विचार रखता है। सबके विचार नहीं मिलते। सोचने का तरीका भी सबका समान नहीं होता। इसका एक कारण है और वह यह है-कौन व्यक्ति किस मंजिल पर खड़ा होकर सोचता या बोलता है। एक आदमी नीचे खड़ा था और एक आदमी पांचवीं मंजिल पर। पांचवीं मंजिल पर खड़े व्यक्ति ने कहा–'भाई! तुम्हारा मित्र आ रहा है।' पहली मंजिल पर खड़ा व्यक्ति बोला-'तुम बिल्कुल गलत कह रहे हो। मेरा मित्र कहीं दिखाई नहीं दे रहा है।' जो नीचे खड़ा है, उसे दिखाई नहीं दे रहा है इसलिए वह कहता है कि तुम गलत कह रहे हो। जो ऊपर ___ खड़ा है, उसे सामने दिख रहा है इसलिए वह कह रहा है-मित्र आ रहा है। दोनों का दृष्टिकोण एक कैसे होगा? यदि पहली मंजिल वाला व्यक्ति पांचवीं मंजिल पर चला जाए तो उसे दिखाई देगा। यदि पांचवीं मंजिल वाला व्यक्ति पहली मंजिल पर आ जाए तो उसे भी दिखाई नहीं देगा। जो प्रथम भूमिका पर खड़ा है, उसकी बात एक प्रकार की होगी। जो ऊपर की भूमिका पर खड़ा है, उसकी बात दूसरे प्रकार की होगी। ____ जम्बूकुमार ऊपर की मंजिल पर चढ़ गए इसलिए उन्हें जीवन का सत्य दिखाई दे रहा है। जो नववधू . हैं, नवोढ़ा हैं, वे नीचे की मंजिल पर खड़ी हैं, धरातल पर खड़ी हैं, उनको वह सचाई दिखाई नहीं दे रही। इस स्थिति में दोनों के विचार मिल कैसे सकते हैं? वह तभी मिल सकता है जब वे नवोढ़ाएं भी ऊपर की मंजिल पर चढ़ जाएं। जम्बूकुमार ऐसा ही प्रयत्न कर रहा है, जिससे नवोढ़ाएं भी मंजिल पर चढ़ जाएं। ___ जम्बूकुमार बहुत मृदु स्वर में बोले- पद्मश्री! तुम बड़ी कुशल हो। तुमने कहानी भी बड़ी मार्मिक पुनाई है। अगर मैं भी नीचे की मंजिल पर होता तो तुम्हारी बात को स्वीकार कर लेता, मैं कहता-तुम कह १६०
SR No.034025
Book TitleGatha Param Vijay Ki
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragya Acharya
PublisherJain Vishvabharati Vidyalay
Publication Year2010
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy