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________________ धम्मकहा 8885 और सेठ ये चार परुष भी अतिभक्ति से आहार दान की अनुमोदना करते है। बाहर स्थित शार्दूल, नकुल, वानर और शूकर ये चार तिर्यंच भी आहार की प्रशंसा करते हुए आहार को देखते हुए प्रसन्न होते हैं। उसके फल से आठवें भव में वह राजा वज्रजंघ, ऋषभदेव तीर्थकर होते हैं. रानी श्रीमती राजा श्रेयांस होती है, मन्त्री ऋषभदेव का पुत्र भरत होता है और पुरोहित ऋषभदेव का पुत्र बाहुबली होता है । सेनापति वृषभसेन नाम का पुत्र होता है और वह सेठ अनन्तविजय नाम का पुत्र होता है। वह चारों तिर्यंच भी क्रम से अनन्तवीर्य, अच्युत, वीर और वरवीर नाम के पुत्र होते हैं। आहार दान जिन्होंने दिया है उन्होंने न केवल भोजन दिया है किन्तु रत्नत्रय का ही दान किया है क्योंकि भोजन के बिना रत्नत्रय की स्थिति चिरकाल तक नहीं होती है। औषध दान से श्री कृष्ण महाराज तीर्थकर नाम कर्म का बन्ध किये हैं। कोण्डेश ग्वाला शास्त्र दान के फल से श्रतकेवली हुआ है । अभयदान के फल से शूकर भी स्वर्ग को प्राप्त हुआ है, इस प्रकार की प्रसिद्धि है। इसलिए निजशक्ति को नहीं छुपाते हुए दान करना। तीर्थंकर शुभनामकर्म का बन्ध करता है। נ נ נ यौवनकाल में धर्म में जो रुचि करता है उसे निकटभव्य जानो। वास्तव में साधु ही योग्य को जानता है इसलिए साधु के द्वारा दिया गया दिशानिर्देश ही श्रेयस्कर है॥१६॥ अ.यो.
SR No.034023
Book TitleDhamma Kaha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPranamyasagar
PublisherAkalankdev Jain Vidya Shodhalay Samiti
Publication Year2016
Total Pages122
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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